तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे भाषा के विशेषज्ञ पढ़कर कहें कि ये कलम का छोटा सिपाही ऐसा है तो भीष्म साहनी, प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', हरिवंश राय बच्चन, फणीश्वर नाथ रेणु आदि कैसे रहे होंगे... गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.

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क्यों बढ़ रही है बच्चों में हिंसा?


  • पिछले दिनों बच्चों द्वारा मासूमों की जान लेने की घटनाएं सामने आईं। आखिर कौन सी चीजें उन्हें हिंसक बना रही हैं।
  • क्या हमारे आप-पास का बदलता माहौल बच्चों में बढ़ रही हिंसा के लिए जिम्मदार है या महानगरों में बढ़ता एकल परिवार का ट्रेंड इसका दोषी है, जिसमें वर्किंग कप्ल्स के पास अपने बच्चों को देने के लिए पर्याप्त समय नहीं है।

  • कुछ लोगों बदलते सामाजिक परिवेश को इसके लिए जिम्मेदार मानते हैं। उनका कहना है- आजकल बच्चे टीवी पर हिंसा और उत्तेजना के दृश्य देख रहे हैं। उनका कुप्रभाव बच्चों पर पड़ रहा है। बच्चे गलत बातों पर जल्दी अमल करने लगते हैं। उन्हें अच्छी बातें बताने वाला भी कोई नहीं है। कानून वे जानते नहीं हैं और परिवार का डर अंदर से निकल गया है।

  • कुछ लोग कहना है- परिवार और सोसायटी इसके लिए जिम्मेदार है। आज सोसायटी में बच्चों को सही रास्ते दिखाने वालों की कमी हो गई है जबकि गलत रास्तों पर ले जाने वाले उनके आगे- पीछे होते हैं। बच्चों में दोस्ती में झगड़े और बदला लेने की भावना उन्हें हिंसा की ओर ले जा रही है।

  • वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कहते हैं कि ये सब क्षणिक आवेश का नतीजा है। वह कहते हैं- बच्चे हिंसक नहीं हुए हैं और कुछ अपवादों से घबराने की जरूरत नहीं है। वैसे व्यस्त जिंदगी में माता-पिता बच्चों की उतनी परवाह नहीं कर पा रहे हैं। बच्चों के खाली दिमाग में तमाम तरह की सनक उठती रहती है। इसलिए कभी-कभार वे अतिवादी कदम उठा लेते हैं।

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