तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे भाषा के विशेषज्ञ पढ़कर कहें कि ये कलम का छोटा सिपाही ऐसा है तो भीष्म साहनी, प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', हरिवंश राय बच्चन, फणीश्वर नाथ रेणु आदि कैसे रहे होंगे... गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.

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क्यों कहते हैं सारे तीर्थ बार बार गंगासागर एक बार

भारत के तीर्थों में एक महातीर्थ है जिसे हम गंगासागर के रूप में जानते हैं। गंगाजी इसी स्थान पर सागर में आकर मिली है। इसी स्थान पर राजा सगर के साठ हजार पुत्रों को मोक्ष प्राप्त हुआ था। यहां मकर संक्रान्ति पर बहुत बड़ा मेला लगता है जहां लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए आते हैं। कहते हैं यहीं संक्रान्ति पर स्नान करने पर सौ अश्वमेघ यज्ञ और एक हजार गाऐं दान करने का फल मिलता है।

कथा: एक बार कपिल मुनि ने श्राप देकर राजा सगर के साठ हजार पुत्रों को भस्म कर दिया। तब अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए राजा सगर के पड़पोते भागीरथ ने हिमालय पर जाकर कड़ी तपस्या की और गंगा को प्रथ्वी पर लाए। तब गंगा ने इसी स्थान पर सगर के साठ हजार पुत्रों को मोक्ष प्रदान किया। तभी से गंगा को भागीरथी कहा जाने लगा। इस जगह जहां मेला लगता है वहीं से गंगाजी समुद्र में मिलती हैं।
कैसेपहुंचें: गंगासागर को सागर द्वीप भी कहा जाता है। जो क लकत्ता से 135 किमी दूर दक्षिण में है। सागर द्वीप जाने के लिए कलकत्ता से पानी के जहाज जाते हैं। कलकत्ता से 57 किमी दक्षिण में डायमण्ड हारबर स्टेशन है वहां से नाव और पानी के जहाज दोनों ही गंगासागर जाते हैं। रथ महाकाल
विभिन्न राज्यों में संक्रांति के रंग
त्योहारों की मिठास के संग
RAJ KI PATANGEN

त्योहार अपने साथ खुशियाँ और खान-पान की बहार भी लाते हैं। आज के दिन लोग गजक, मूँगफली, तिल के लड्डू और रेवड़ी बड़े चाव से खाते हैं। अलग-अलग राज्यों में इस दिन कुछ दिलचस्प परंपराएँ भी निभाई जाती हैं।

लोहड़ी के बाद मकर-संक्रांति पर्व है। इसके स्वागत में बाजार और शौकीनों ने पूरी तैयारी कर ली है। जगह-जगह तिल, मूँगफली दाना, गुड़ आदि से तैयार गजक, रेवड़ी और लड्डुओं की दुकानें सज गई हैं।

त्योहार के स्वागत में बच्चे, युवा और बड़े सब मिल-जुलकर पतंगबाजी का आनंद लेने लगे हैं। सुबह-सवेरे लोग पूजा-पाठ के बाद एक-दूसरे को बधाई देने के साथ तिल, मूँगफली और गुड़ या चीनी के साथ तैयार की गई गजक और रेवड़ियाँ भेंट करते हैं। कई परिवारों में इस अवसर पर विशेष पूजा पाठ का आयोजन भी किया जा रहा है।

अलग-अलग राज्यों में इस तरह से मनाया जाता है यह त्योहार।
बिहार : ये मेरा जन्म स्थान भी है तो मुझसे बेहतर कौन जानेगा.. हा मकर संक्रांति धार्मिक व बैग्यानिक नियम से मनाये जाते है.. सुबह स्नान करने के बाद पूर्वजो को तील-गुड से आह्वान किया जाता है.. बडे-बुजुर्ग अपने हाथो से बच्चो को तिल्कुट खिलाते है. फिर शुरू होता है चावल से बने लड्डू (लाई) तथा कसार खाने का सिलसिला. इसके बाद दही और चिडा के साथ ३-४ सब्जियो का आनंद उठाने का एक अलग ही आनंद मिलता है... और रात में खिचडी के साथ समापन होता है.
पश्चिम बंगाल- हुगली नदी पर गंगा सागर मेले का आयोजन किया जाता है।

तमिलनाडु- किसानों के प्रमुख पर्व पोंगल के नाम से मनाया जाता है। घी में दाल-चावल की खिचड़ी पकाई और खिलाई जाती है।

आंध्रप्रदेश- संक्रांति के नाम से तीन दिन का पर्व मनाया जाता है।

महाराष्ट्र- गजक और तिल के लड्डू खाने और भेंट करने की परंपरा है। तिल-गुड़ घ्या आनि गोड़-गोड़ बोला कहकर रिश्तों में मिठास घोली जाती है। तिल के आभूषण बनाकर नई दुल्हन को पहनाए जाते हैं।

असम- इस पर्व को भोगली बिहू के नाम से मनाया जाता है।

उत्तरप्रदेश- मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व कहा जाता है। सूर्य की पूजा की जाती है। चावल और दाल की खिचड़ी खाई और दान की जाती है।

पंजाब- लोहड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है। धूमधाम के साथ समारोहों का आयोजन किया जाता है।

गुजरात व राजस्थान- उत्तरायण पर्व के रूप में मनाया जाता है। पतंग उत्सव का आयोजन किया जाता है।

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