तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे भाषा के विशेषज्ञ पढ़कर कहें कि ये कलम का छोटा सिपाही ऐसा है तो भीष्म साहनी, प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', हरिवंश राय बच्चन, फणीश्वर नाथ रेणु आदि कैसे रहे होंगे... गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.

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Please note on your .. Children are becoming victims of cyber abuse

ध्यान दें अपने नौनिहालों पर..
साइबर शोषण के शिकार हो रहे हैं बच्चे


बच्चों के लिए अपनी मनपसंद गाने या फिल्में कंप्यूटर या मोबाइल फोन पर सिर्फ एक क्लिक की दूरी पर होते हैं। और तेजी से बच्चे इसका साझा अपने दोस्तों के साथ कर लेते हैं। सूचनाओं के इन अंधाधुंध साझेदारी से बच्चे साइबर शोषण के शिकार हो रहे हैं।

वैश्विक सुरक्षा टेक फर्म मैकएफी द्वारा देश के 10 शहरों में कराए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। इस सर्वे से यह जानने की कोशिश की गई है कि आज के भारतीय बच्चे ऑनलाइन से कितने सुरक्षित हैं।

सर्वे में दौलतमंद परिवार के 62 फीसदी बच्चों ने स्वीकार किया कि वे इंटरनेट पर निजी जानकारियां एक-दूसरे के साथ साझा करते हैं।

मैकएफी इंडिया की अनंदिता मिश्रा ने बताया कि साइबर स्पेस पर हो रहे इस कारनामे के कारण बच्चों में डराने-धमकाने, पीछा करने, अश्लील बातें करने और धोखाधड़ी जैसे कई खतरे बढ़ रहे हैं। यह सर्वेक्षण में देश के कई शहरों में 500 बच्चों और 496 अभिभावकों को शामिल किया गया है।

दौलतमंद परिवार के जिन 500 बच्चों के ई-मेल आईडी हैं, उनमें 67 फीसदी चार से आठ साल आयुवर्ग के हैं जबकि सोशल नेटवर्किंग साइट पर अपना अकाउंट रखने वाले 64 फीसदी बच्चे आठ से 12 साल आयुवर्ग के हैं।

सर्वेक्षण के नतीजों से पता चला है कि 58 फीसदी बच्चे अपने घर का पता साझा करते हैं और 40 फीसदी ने अपनी तस्वीरें साझा करने की बात स्वीकार की है। वहीं 12 फीसदी ने इंटरनेट पर अपने माता-पिता के क्रेडिट कार्ड के बारे में जानकारियां साझा की हैं। NANHE

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