तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे भाषा के विशेषज्ञ पढ़कर कहें कि ये कलम का छोटा सिपाही ऐसा है तो भीष्म साहनी, प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', हरिवंश राय बच्चन, फणीश्वर नाथ रेणु आदि कैसे रहे होंगे... गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.

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चीन की चुनौती और भारत की तैयारी


दिखा दो इंडिया दुनिया को अपनी ताकत



चीन की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत ने बड़ा कदम उठाते हुए अरूणाचल प्रदेश में ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल की तैनाती को हरी झंडी दे दी गई है। यह चीन के खिलाफ भारत की पहली बड़ी आक्रामक, रणनीतिक तैनाती होगी। ब्रह्मोस की तैनाती से भारत अपनी सीमा की रक्षा पहले की तुलना में काफी पुख्ता तरीके से कर सकेगा।

पाकिस्तान की ओर से किसी खतरे का मुकाबला करने के लिए अब तक तीन ब्र±मोस मिसाइलें पश्चिमी सेक्टर में तैनात हैं। अरूणाचल प्रदेश में तैनात की जाने वाली ब्रह्मोस की यह चौथी रेजिमेंट होगी। 290 किलोमीटर दूर के निशाने को भेदने में सक्षम ये क्रूज मिसाइलें तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में भारतीय सेना की पहुंच आसान करने और भारत-चीन सीमा पर चीन की मिसाइल तैनाती का मुकाबला करने के लिए तैनात की जा रही हैं। सूत्रों के मुताबिक, भारतीय सेना के विस्तार का यह दूसरा चरण है, लेकिन सशस्त्र सेनाओं की जरूरत के लिहाज ऎसा जल्द ही किया जा रहा है।

सैन्य विस्तार 
चीन सीमा पर सेना के विस्तार के तहत पश्चिम बंगाल के पानागढ़ में कोर हेडक्वार्टर की स्थापना तथा दो और डिवीजन तैनात किए जाने का प्रस्ताव है। इसके तहत एक आर्टिलरी डिवीजन और स्वतंत्र आम्र्ड ब्रिगेड की तैनाती भी की जाएगी।

डै्रगन की तबाही को काफी है ब्रह्मोस
सैनिकों की तैनाती को मंजूरी

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पंचवर्षीय विस्तार योजना को भी मंजूरी दे दी है।
इसके तहत 89 हजार सैनिकों और 400 अफसरों की बहाली का प्रस्ताव है।
इस विस्तार पर करीब 65 हजार करोड़ रूपए की लागत आएगी और इसे देश का एक बार में सबसे बड़ा सैन्य विस्तार माना जा रहा है।

सैन्य विस्तार
चीन सीमा पर सेना के विस्तार के तहत पश्चिम बंगाल के पानागढ़ में कोर हेडक्वार्टर की स्थापना तथा दो और डिवीजन तैनात किए जाने का प्रस्ताव है। इसके तहत एक आर्टिलरी डिवीजन और स्वतंत्र आम्र्ड ब्रिगेड की तैनाती भी की जाएगी।

290 किमी मारक क्षमता
300 किलो वारहैड ले जाने में सक्षम
2.8 गुना ध्वनि के वेग से
10 मीटर तक नीची उड़ान
10 करोड़ की एक ब्रह्मोस

अमरीकी टॉम हॉक से तीन गुना तेज, नौ गुना विनाशक
पनडुब्बी, युद्धपोत, हवा व जमीन से दाग सकते हैं
हवा में पोजीशन बदलने की अनोखी काबिलियत
उड़ान के वक्त हवा खींचकर इंजन में डालती है
भारत और रूस ने संयुक्त रूप से विकसित की
80 क्रूज मिसाइलें दुनियाभर में, पर ब्रह्मोस सबसे तेज

किसमें-कितना है दम...
थल सेना : 13 लाख सैनिक हैं।
लड़ाकू विमान : 1000 लड़ाकू विमान हैं, जिनमें सुखोई, मिराज, मिग-29, मिग-27, मिग-21 और जगुआर शामिल हैं।
मिसाइल : सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्र±मोस, अग्नि, पृथ्वी, आकाश और नाग जैसे मिसाइल हैं। अग्नि-5 पर काम जारी है जो 5000 किमी तक हमला करने में समक्ष होगी। इसका पहला परीक्षण दिसंबर अंत में होने की संभावना है। अग्नि-6 पर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, जिसकी मारक क्षमता करीब 10 हजार किमी होगी।
युद्धपोत : 27 युद्धपोत हैंं।
परमाणु हथियार : 50 से 90 परमाणु हथियार हैं।

पूर्वोत्तर में हमारी तैयारियां
चीन और पाकिस्तान से लगी अपनी सीमाओं पर 558 नई सड़कें बनना शुरू हो गई हैं। सड़क निर्माण का पहला चरण पूरा हो चुका है।
इन संपूर्ण सड़कों की कुल लम्बाई 27,986 किलोमीटर होगी। इन पर 500 करोड़ रूपए से ज्यादा लागत आएगी।
साल 2030 तक ये सड़कें पूरी तरह तैयार हो पाएंगी।
यह परियोजना पिछले दशक के दौरान तिब्बत में चीन द्वारा किए गए बुनियादी विकास और पाकिस्तान की पांच प्रमुख सड़क परियोजनाओं का जवाब होगी।

समुद्र में भी सुरक्षा : कैबिनेट कमेटी ने हिंद महासागर में भारतीय द्वीपों की सुरक्षा पर भी खासा ध्यान देने का फैसला किया है। अंडमान निकोबार द्वीप समूह में नौसेना के अलावा सेना की दो ब्रिगेड, जबकि लक्षद्वीप में एक बटालियन की तैनात पर भी विचार किया जा रहा है।

थल सेना : 23 लाख लड़ाकू सैनिक 
लड़ाकू विमान : 1800 लड़ाकू विमान हैं। इनमें जे-11, जे-10, सुखोई-30, जेएच-7 जैसे विमान शामिल हैं।
मिसाइल : 12 हजार किमी रेंज वाली डांग फेंग-5 और इसी सीरीज की दूसरी मिसाइलें हैं।
युद्धपोत : 75 युद्धपोत हैं।
परमाणु हथियार : 150 से 200 परमाणु हथियार हैं।

दोगुना रक्षा बजट : साल 2010 में चीन का रक्षा व्यय 78.36 अरब डॉलर था जबकि इसी अवघि में भारत का रक्षा सेनाओं के लिए आवंटन 33.20 अरब डॉलर था। इसी अवघि में पाकिस्तान का रक्षा व्यय 6.40 अरब डॉलर रहा।
राजेश मिश्रा, कोलकाता, पश्चिम बंगाल

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