तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे भाषा के विशेषज्ञ पढ़कर कहें कि ये कलम का छोटा सिपाही ऐसा है तो भीष्म साहनी, प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', हरिवंश राय बच्चन, फणीश्वर नाथ रेणु आदि कैसे रहे होंगे... गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.

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पटना में बिक रहे हैं सलमान-शाहरुख!


पटना। बॉलीवुड अभिनेता खान बंधुओं के नाम को भुनाने का उदाहरण आजकल बिहार की राजधानी में देखने को मिल रहा है। अगर आपको बकरीद के लिए ‘शाहरुख’ और ‘सलमान’ की जरूरत हो, तो आपको मुंबई जाने की जरूरत नहीं, पटना के जगदेव पथ स्थित बकरी बाजार में आकर इन्हें ले जा सकते हैं!

ईद-उल-जुहा उर्फ बकरीद के नजदीक आते ही पशु विक्रेता ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए नई मार्केटिंग रणनीति अपना रहे हैं। उन्होंने अपने बकरों के नाम शाहरुख खान, सलमान खान, आमिर खान रखा है। बकरीद का त्योहार इस वर्ष 27 अक्टूबर को है। कुर्बानी का यह त्योहार पटना में धूमधाम से मनाई जाती है। बड़ी शख्सियतों के नाम वाले बकरे अपने शारीरिक वजन और गुण के अनुसार 40 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये के बीच बिक रहे हैं।

इन खान बंधुओं के पटना के बकरी बाजार में आ जाने से न केवल बाजार में खरीदारों की भीड़ उमड़ रही है, बल्कि महंगाई के इस दौर में जब खरीदार इन महंगे सितारों के नाम के बकरों को नहीं खरीद पा रहे हैं तो टेलीविजन सीरियल के ही कम बजट के सितारे ‘पुनर्विवाह’ धारावाहिक के ‘गुरमीत’, ‘तेरी मेरी लव स्टोरी’ के ‘करण’ को ही कम कीमतों में खरीदकर बकरीद मनाने की तैयारी कर रहे हैं। अलीगढ़ जिले के जलाली गांव के रहने वाले बकरा विक्रेता महबूब आलम कहते हैं कि मेरे दो बकरे बाजार में सर्वाेत्तम हैं। उनकी अच्छी शारीरिक बनावट और अच्छे व्यवहार के कारण मैंने उनका नाम शाहरुख और सलमान रखा है।

इस बाजार में सलमान की दबंगई अब तक चल रही है। सलमान की कीमत 80 हजार रुपये रखी गई है, लेकिन अभी तक उसके खरीदार नहीं आ सके हैं। वह बताते हैं कि ग्लैमर के इस दौर में करण-अर्जुन का जोड़ा भी बाजार में खरीददारों को आकर्षित कर रहा है। इतनी ऊंची कीमत रखने के सवाल पर बकरी पालक बताते हैं कि बकरे को तंदुरुस्त बनाने के लिए उन्हें न केवल बकरे को घी खिलाना पड़ता है, बल्कि उनके स्वास्थ्य का भी विशेष ख्याल रखा जाता है। वह कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि किसी भी बकरे में तत्काल मांस बढ़ जाए। इसके लिए दो वर्ष पूर्व से ही तैयारी करनी पड़ती है।

वैसे, बकरे के खरीदार इस महंगाई में बकरे को खरीदने के पूर्व अच्छे से मोलभाव कर रहे हैं। खरीदार अब्दुल करीम बताते हैं कि इस बार बकरीद के पर्व में महंगाई के कारण बजट कुछ गड़बड़ हो गया है, बकरे की कीमत भी बढ़ी नजर आ रही है। वैसे, कई खरीदार ऐसे भी हैं जो अच्छे बकरे के लिए कोई भी कीमत अदा करने को तैयार हैं। विक्रेताओं का मानना है कि हर मुसलमान पूर्ण वयस्क जानवर की कुर्बानी के लिए पैसा खर्च करने को तैयार रहते हैं, इसलिए महंगे बकरों को बेचना उनके लिए कठिन नहीं है। पटना सिटी से बकरा खरीदने आए अब्दुल शमीम कहते हैं कि बकरा कुर्बानी के लिए लेना है, इसलिए वह अच्छा दिखने वाला और अधिक वजन वाले बकरे को खरीदना चाहते हैं। वह कहते हैं कि कीमत मेरे लिए कोई मुद्दा नहीं है।