तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे भाषा के विशेषज्ञ पढ़कर कहें कि ये कलम का छोटा सिपाही ऐसा है तो भीष्म साहनी, प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', हरिवंश राय बच्चन, फणीश्वर नाथ रेणु आदि कैसे रहे होंगे... गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.

LATEST:


मनमौजी की मौज




यह स्थापित सत्य है कि बदपरहेजी करने वालों से डॉक्टर भी डरता है, पर जो मजा बदपरहेजी में है वह परहेज में कहां?
डॉक्टर को इस चिंता में मरने दीजिए कि आपने फिर शुद्ध घी खा लिया या सिगरेट पीना शुरू कर दिया और आपका कोलेस्ट्राल अब फिर बढ़ जाएगा। श्रीमती इस सिरदर्द से पीडि़त है कि उनका डायबेटिक पति अभी तक प्राणवान है। बाहर जाकर बदपरहेजी कर आता है और घर आकर क्षणे-क्षणे इंस्टालमेंट में मरता रहता है।
बच्चों की जासूसी इसी बात पर फलती-फूलती रहती है कि पापा ने बाहर जाकर होटल में यार-दोस्तों के साथ क्या खाया या पापा फलाने-फलाने के साथ कहां-कहां गये थे और वहांअमुक-अमुक चीजें खाई थीं। नहीं तो खाओ मम्मी की कसम, आपने वहां जाकर कुछ नहीं खाया?
खैर, बात बदपरहेजी की है, सो कीजिए ï। संविधान में कहीं नहीं लिखा है कि किसी को बदपरहेजी करने का कोई अधिकार नहीं है। अमेरिका या इंगलैंड के संविधान में यह लिखा होता तो भारत के संविधान में भी यह मिल जाता क्योंकि हमारा संविधान ही मात्र खिचड़ी संविधान है,दुनिया का। इस खिचड़ी से ही राष्ट्र को बदपरहेजी करने का,बोफोर्स एवं स्केम जैसी अंतर्राष्ट्रीय बदपरहेजी का गौरव प्राप्त है।
आप तो खाये जाओ, बस खाये जाओ। वल्र्ड बैंक आई.एम.एफ. के प्रेशर कुकर में जो पका है, उधारी खाने वालों का स्वास्थ्य कभी खराब नहीं होता और राजनेताओं का तो सवाल ही नहीं पैदा होता।
हजारों योजनाएं डकार गए हैं, पर आज तक एक भी खट्टी डकार नहीं आई। मैंने एक करोड़ का ब्रीफ केस कभी लिया है तो तुम सभी एम.पी.ओ. को राहत कार्य के नाम पर एक-एक करोड़ खर्च करने का लाइसेंस मंजूर किया जाता है।



स्केम की ऐसी की तैसी। इस बदपरहेजी के लिए मैंने फांक लिया है बदपरहेजी का चूर्ण। आप भी भविष्य में जी भरकर घोटाले कीजिए और सदैव यही चूर्ण फांकिये। इस बार कपड़ा मंत्री को रिपोर्ट सौंपी थी, अगली बार कोई और लोहा मंत्री को ठोस रिपोर्ट देने का तैयार हो जाएगा। वे फिर दाढ़ी खुजाकर कुछ संदेहों से मुक्त हो जाएंगे। और हम, ï’किसी को भी नहीं छोड़ा जाएगा’ ब्रह्म वाक्य कहकर पहले खुद को, फिर अपने बच्चे को और फिर पार्टीजनों को छोड़ देंगे, क्योंकि इसमें हमारे बाप का क्या जाता है और बदपरहेजी में सब चलता है। जो भी खाता है वह अपनी किस्मत का और भारतमाता का खाता है। दे खुदा के नाम पर दे दे! दे भारत के नाम पर दे दे। हम इन्टरनेशनल फकीर आए हैं पूरे वल्र्ड बैंक को खाने। उसके बाद, बाद की औलादें जानें और जाने भारत माता।
जो यह सब डकार ले उसे बदपरहेजी हो, ऐसा कभी नहीं कहा जाता। बल्कि उसके स्वास्थ्य की तो सभी को दुहाई देनी पड़ती है। देश में विरोधियों की कारगुजारी पर गुस्सा आए तो भूखहड़ताल की धमकी देकर बैठ जाओ और जब तक वजन की मशीन पर दस किलो कम न हो जाए, बिना किसी के वजनी थैली लिए टस से मस मत होइये। आपकी यही कुर्बानी नए-नए रंग खिलाएगी और फिर से नई बदपरहेजियों के नए-नए सोपान पैदा करेगी क्योंकि खुदा को भी है प्यारी ‘आपकी कुर्बानी’
बदपरहेजी करने पर कई बार यह भी सुनने को मिलता है कि साहब को सब चलता है। यानी कितना भी खाएं कुछ भी खाएं और कहीं से भी कभी भी खाएं। जैसे दिनभर भी खाते भी जा रहे हैं—हलवा ही हलवा या भजिये ही भजिये, फिर कई दिनों तक कुछ भी नहीं। एक बार में एक सीटिंग में आपने 100 अंडे खा लिये या पचास आईसक्रीम’ या ऐसे ही कुछ तो आप निश्चित ‘भुक्खड़’ समाज के प्रमुख पद पर शोभित हो सकते हैं। कई दिनों तक जब आप कुछ नहीं खाते हैं तो स्वयमेव पुराने स्टाक की पेट स्वयं जुगाली करता रहता है। खाया आपने इसलिए नहीं क्योंकि खिलाने वाला नहीं मिला। मिले तो उसे भी खा जाएं। आपको नींद बहुत आती है पर कुछ जरूरी कार्य हेतु आपको रात भर जागना है तो आपको खूब ठूंस-ठूंस कर खाना चाहिये, फिर आपको नींद आएगी।
दिमाग का पेट से काफी दूर का रिश्ता रहता है। जो लोग दिमाग का खाते हैं, वे प्राय: पेटू नहीं होते और जो पेटू होते हैं उनसे दिमाग वाली बात की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पर कभी-कभी बदपरहेजी करने से दिमाग की नसें खुल जाती हैं और कभी-कभी दिमागी बदपरहेजी से पेट खराब हो जाता है।
आप दुनिया में आए हैं तो सिर्फ खाने के लिए — पैसे से लेकर दिमाग तक, खूब खाइए, सबका खाइए और सभी कुछ खाइए। थोड़े दिनों की बात है क्यों चूकें। आप अतृप्त रहे तो आपकी आत्मा भूत बनकर हलवे और जलेबी पर भटकेगी। इसलिए आप देश को बचाने के लिए राष्ट्रहित में, जनहित में, विश्व बैंक हित में खाइये, और खूब खाइये। आपके खाने से जो कमी आएगी उसे हमेशा की तरह हमारी सरकार बजट के पूर्व चीजों के दाम बढ़ाकर पूरा कर लेगी और फिर भी कसर रही तो पेट्रोल की कीमतें और बढ़ाकर ताकि आम आदमी गाडिय़ां हाथ में लेकर चल सके। इस प्रकार आपकी कसरत भी होगी व राष्ट्रीय बचत भी होगी। थककर चूर होकर जब आप खायेंगे तो खूब डटकर खायेंगे।
हमारा नारा है ‘खाओ और खूब खाओ।’

Chhapan Bhoj

Chiken


Indian Thali