तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे भाषा के विशेषज्ञ पढ़कर कहें कि ये कलम का छोटा सिपाही ऐसा है तो भीष्म साहनी, प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', हरिवंश राय बच्चन, फणीश्वर नाथ रेणु आदि कैसे रहे होंगे... गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.

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जीवित ही किंवदंती बन चुके ज्योति बसु की हालत बहुत नाज़ुक


२१ जून १९७७ से ६ नवम्बर २००० तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रह कर इतिहास रच चुके श्री ज्योति बसु के अब स्वस्थ होने के आसार नहीं रह गए हैं। आज शाम डाक्टरों की टीम ने जो सुचना दी उससे येही लगता है की अब वे जयादा दिन तक हमारे बिच नहीं रह पाएंगे। उनके शारीर के सभी तंत्र धीमे होते जा रहे है। मुझे उनसे मिलने का दो बार अवसर मिला, दोनों बार प्रोग्राम में ही मिले आज उनके लिए पहली बार दिल उदास हुआ। ऐसे इतिहास पुरुस बहुत कम होते हैं। १९६६ में श्री बसु ने खाद्य मुद्दे को लेकर गिरफ़्तारी दी थी, १९३७ में लन्दन में शिक्षा के दौरान इन्हें इंडिया लीग का सदस्य बनाया गया, १९३८ में जब पंडित जवाहर लाल नेहरु लन्दन गए, वहीँ ज्योति बसु उनसे मिले। १९४० में वे भारत लौटे, १९४६ में उनकी मुलाकात महात्मा गाँधी से हुई थी बेलिघाता में, यही से राजनीती में प्रवेश किये श्री बसु फिर पीछे नहीं देखे। श्री बसु पर पूरी जानकारी बहुत जल्द मुहैया करूँगा तब तक के लिए नमस्कार।