आज पूरी दिन थकावट भरी रही.... फुर्सत मिली तो ज्योति बाबु के पार्थिव शारीर के पीजी अस्पताल में देह दान के बाद.... इसलिए ज्यादा कुछ नहीं लिख पाया। आज मैं अपने "दैनिक विश्वामित्र" को आपके सामने रख दे रहा हूँ... जिसमें मेरी काफी योगदान हैं... आखिर यही पर मेरी आधी समय गुजरती है.... जो। लीजिये पेश है....