तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे भाषा के विशेषज्ञ पढ़कर कहें कि ये कलम का छोटा सिपाही ऐसा है तो भीष्म साहनी, प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', हरिवंश राय बच्चन, फणीश्वर नाथ रेणु आदि कैसे रहे होंगे... गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.

LATEST:


BABA RAMDEV KA ANSHAN FIR SHURU

पतंजलि योगपीठ में अनशन पर बैठे बाबा रामदेव
RAJESH MISHRA, KOLKATA
'THE WAKE' (News Editor)
नई दिल्ली से जबरन रूखसत किए गए बाबा रामदेव ने यहा अपने आश्रम में अपना अनशन फिर से शुरू कर दिया है और उनका कहना है कि जब तक भ्रष्टाचार खत्म करने और काले धन को वापस लाने की उनकी माग केंद्र सरकार नहीं मान लेती, तब तक उनका 'सत्याग्रह' जारी रहेगा।
पतंजलि योगपीठ सूत्रों ने आज यहा बताया कि बाबा रामदेव अपने समर्थकों और अनुयायियों के साथ कल देर रात योगपीठ की यज्ञशाला में सत्याग्रह पर बैठे।
योग गुरु बाबा रामदेव प्रकरण ने रविवार को कई करवटें बदलीं। बाबा को दिल्ली से विशेष विमान के जरिए देहरादून ले जाकर छोड़ा जाना। वहां से हरिद्वार कूच। हरिद्वार से नोएडा के लिए रवानगी और उत्तार प्रदेश की सीमा में प्रवेश पर पाबंदी। मुजफ्फरनगर के पुरकाजी से वापसी। अंतत: बाबा रामदेव रात नौ बजे हरिद्वार स्थित अपने पतंजलि योगपीठ में ही अनशन पर बैठ गए। पुलिस कार्रवाई के विरोध में योग पीठ ट्रस्ट ने सोमवार शाम तक काला दिवस मनाने का एलान किया है।

  • तो कांग्रेस-सोनिया जिम्मेदार
BABA RAMDEV
बाबा रामदेव सुबह करीब सवा ग्यारह बजे पतंजलि योगपीठ पहुंचे। बदहवासी जैसे हालात के बीच आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बाबा रामदेव ने सीधे सोनिया गांधी को अपने निशाने पर लिया। आरोप लगाया कि रिमोट कंट्रोल से सरकार चलाने वाली सोनिया को भारत और भारतीयों से प्यार नहीं है। बाबा ने कहा कि उनकी हत्या की साजिश रची जा रही है, अगर उन्हें कुछ होता है तो सोनिया गांधी और कांग्रेस इसके लिए सीधे जिम्मेदार होंगी। आरोप लगाया कि सोनिया के इशारे पर उनके एनकाउंटर की साजिश रची गई थी।

  • लोकतंत्र की हत्या
बाबा ने कहा कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि सरकार इस तरह अत्याचार पर उतर सकती है। रात को पुलिस ने जिस तरह एक लाख निहत्थे लोगों पर हमला किया उसकी याद कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। रामदेव ने कहा कि रामलीला मैदान पर लोकतंत्र की हत्या की गई। इससे आपातकाल की याद ताजा हो गई। अगर वह समर्थकों को नहीं रोकते तो जलियांवाला बाग कांड केंद्र सरकार दोहरा देती।

  • जबरन लिखवाया पत्र
केंद्र सरकार को दिए पत्र पर सफाई देते हुए बाबा ने कहा कि आचार्य बालकृष्ण पर दबाव डालकर जबरन यह पत्र लिखवाया गया। अगर बालकृष्ण यह पत्र नहीं देते, तो सरकार तीन जून को ही महिलाओं और बच्चों पर बर्बरतापूर्वक कार्रवाई कर देती। बाबा रामदेव ने दोहराया कि कालेधन, भ्रष्टाचार व लोकपाल पर केंद्र सरकार गंभीर नहीं है। केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल से बाबा खासे नाराज हैं। उन्हें कुटिल व्यक्ति करार देते हुए बाबा ने कहा कि वह किसी से डरते नहीं है। मारीशस के रास्ते देश में लगे 50 लाख करोड़ रुपए भी कांग्रेस व उससे जुड़े दलों के लोगों के हैं। यही वजह है कि सरकार ने उनके शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने की कोशिश की।

  • बैरंग लौटना पड़ा
करीब पौने सात घंटे की गहमागमी के बाद योग गुरु शाम छह बजे फिर से दिल्ली की तरफ निकल पड़े। तब बताया गया कि अब वह दिल्ली के आसपास के शहर से अपना आंदोलन चलाएंगे। बाबा हरिद्वार से निकल तो गए, पर उनके मंसूबों पर उत्तार प्रदेश सरकार ने पानी फेर दिया। उत्तार प्रदेश सीमा पर पुरकाजी के पास मुजफ्फरनगर जिला प्रशासन ने उनके काफिले को रोक दिया। लिहाजा बाबा को वापस लौटना पड़ा।

  • अब तो हरिद्वार से ही आंदोलन
वापसी में वह कुछ देर के लिए मंगलौर के निकट भवानी शंकर आश्रम में रुके और फिर हरिद्वार के लिए चले। रात नौ बजकर पांच मिनट पर पतंजलि योग पीठ पहुंच कर उन्होंने वहीं अनशन शुरू कर दिया। देर रात अनशन स्थल पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए बाबा ने अपनी योजना पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि उनका नोएडा से आंदोलन चलाने का इरादा था, लेकिन उन्हें मुजफ्फरनगर प्रशासन ने जाने से रोक दिया। इसके चलते फिलहाल हरिद्वार से ही आंदोलन चलाने का निर्णय किया गया है। क्रमबद्ध ढंग से योगपीठ की यज्ञशाला में अनशन किया जाएगा। बाबा ने कहा कि इस मुद्दे पर वह मायावती से भी बात करेंगे। कांग्रेस सरकार की दमनात्मक कार्रवाई के खिलाफ जनजागरण अभियान चलाया जाएगा। प्रधानमंत्री का नाम लिए बगैर बाबा ने आरोप लगाया कि सत्ता में शीर्ष पर बैठे लोग अपने दायित्वों का ठीक से निर्वहन नहीं कर रहे हैं।

  • रामदेव से मिलने पहुंचे एनडी तिवारी
-वरिष्ठ कांग्रेसी नेता नारायण दत्ता तिवारी पार्टी लाइन से इतर रविवार को बाबा रामदेव के साथ खड़े नजर आए। वह बाबा से मिलने देर शाम पतंजलि योगपीठ पहुंचे। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खात्मे और कालेधन की वापसी की बाबा की मांग ठीक है और वह उनके साथ हैं।
रविवार को एनडी तिवारी के बाबा रामदेव से मिलने पतंजलि योगपीठ आने की चर्चा जोरों पर रही, लेकिन दोपहर तक वह नहीं आए। शाम को जब बाबा पतंजलि से दिल्ली के रास्ते पर चले और मीडिया वहां से हट गया तो तिवारी पतंजलि योगपीठ पहुंच गए और बाबा के सहयोगियों से मुलाकात की। इस बीच बाबा रामदेव के उत्तार प्रदेश सीमा पर रोके जाने के बाद वापस पतंजलि आने की खबर आई। मीडिया के लोग फिर पतंजलि योगपीठ पहुंचे। बाबा तब तक नहीं पहुंचे थे, लेकिन वहां से निकलते हुए एनडी तिवारी उन्हें मिल गए। उनसे जब वहां आने का प्रायोजन पूछा गया तो उन्होंने बाबा रामदेव से मिलने आने की बात कही। उनसे जब यह सवाल किया गया कि वह पार्टी लाइन से इतर बाबा के साथ हैं, तो उनका जवाब था कि कांग्रेस बाबा का विरोध नहीं कर रही है। वह कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ बाबा रामदेव के आंदोलन को ठीक मानते हैं और इस मुद्दे पर उनके साथ हैं।

  • भगदड़ में जा सकती थी सैकड़ों की जान
-रामलीला मैदान में पुलिस शनिवार की आधी रात के बाद उस समय पंडाल में पहुंची जब बाबा समेत उनके सभी समर्थक व मीडियाकर्मी गहरी नींद में सो रहे थे। अचानक हजारों पुलिसकर्मियों की एक साथ कार्रवाई से पंडाल में अफरा-तफरी मच गई। महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सभी इधर-उधर भागने लगे। शुक्र है कि किसी की जान नहीं गई, नहीं तो जिस तरह कार्रवाई की गई, उससे भगदड़ में सैकड़ों लोगों की जान जा सकती थी।
पुलिस से सबसे बड़ी चूक यह हुई कि उसने पंडाल में बने तीन आपातकालीन गेट नहीं खोले। हमदर्द चौराहे की तरफ वाले केवल एक गेट को ही खुला रहने दिया गया। पुलिस कार्रवाई के समय पंडाल में 60 हजार लोग थे। भगदड़ मची तो सभी एक-दूसरे को धक्का देते, गिरते-पड़ते भागने लगे। जो गिर गया, कुचला गया। पुलिस के डंडे व कुचले जाने से सैकड़ों लोग बेहोश हो गए। जब भीड़ कम हुई तब पुलिस ने कुछ लोगों को वहां से उठाकर पास के अस्पताल में पहुंचाया और कुछ को वहीं छोड़ दिया। पंडाल में हर तरफ चप्पल, जूते व सामान बिखरे पड़े थे। नजारा साफ बयां कर रहा था कि कानून के रखवालों ने ही कानून की किस कदर धज्जियां उड़ाई हैं। कानून के जानकारों का कहना है कि आसू गैस के गोले खाली मैदान व सड़कों पर छोड़े जाते हैं, चहारदीवारी के बीच बंद पंडाल में इस तरह की कार्रवाई गलत है।

  • भड़क सकती थी आंसू गैस के गोले से लगी आग
-रामलीला मैदान के बंद पंडाल में शनिवार रात आंसू गैस के गोले छोड़ने से पंडाल में आग लग गई थी। यह आग भड़क भी सकती थी। आसू गैस व खुद को हजारों पुलिसकर्मियों से घिरा देख लोग डर गए। लोगों को डर था कि पुलिस उन पर गोली न चला दे। पंडाल में डर व दम घुटने के कारण सैकड़ों लोग बेहोश हो गए। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का भी यही मानना है। सवाल यह है कि आग अगर पूरे पंडाल में फैल जाती तब क्या होता। तब इस घटना के लिए कौन जिम्मेदार होता? इन सवालों पर कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।

कोई टिप्पणी नहीं: