तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे भाषा के विशेषज्ञ पढ़कर कहें कि ये कलम का छोटा सिपाही ऐसा है तो भीष्म साहनी, प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', हरिवंश राय बच्चन, फणीश्वर नाथ रेणु आदि कैसे रहे होंगे... गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.

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M.F. HUSSAIN ALLAH KO PYARE HO GAYE

विवादस्पद चित्रकार एमएफ हुसैन का निधन

RAJESH MISHRA, KOLKATA
प्रख्यात चित्रकार एमएफ हुसैन का गुरुवार सुबह लंदन में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वे 95 वर्ष के थे।

पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे हुसैन अपनी पेंटिग्स के कारण हमेशा चर्चा में रहे। उन्हें भारत सरकार ने 1991 में पदम विभूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया था। वे कतर की नागरीकता ले चुके थे तथा 2006 से लंदन में रह रहे थे।
Painter MF Hussain, a well known celebrity artist, who had fame and controversy surrounding him died of Heart Attack in London today (9th June) at 2:30 am local time.

MF Hussain aged 95, was born on September 17, 1915 in Pandharpur in Maharashtra. The painter, who courted controversy over his paintings of Hindu gods, had been living abroad in self-exile since 2006.



हुसेन: प्रसिद्धि और विवादों से घिरे कलाकार
भारतीय पेंटिंग को ग्लोबल मंच तक पहुंचाने वाले पेंटरमकबूल फिदा हुसेन हिंदू देवी-देवताओं के चित्रण को लेकर कई बार विवादों में घिरे। समकालीन भारतीय कला के पर्याय हुसेन को फोर्ब्स मैगजीन भारत के पिकासो की संज्ञा दे चुकी है।

17 सितंबर, 1915 को महाराष्ट्र के पंढरपुर में जन्मे हुसैन ने पेंटिंग का कहीं से भी विधिवत प्रशिक्षण नहीं लिया था। अपने कला जीवन की शुरुआत उन्होंने मुंबई में फिल्मों के होर्डिंग्स पेंट करके की थी। हुसेन ने एक बार अपने शुरुआती जीवन का जिक्र करते हुए बताया था, हमें प्रति वर्ग फुट के चार या छह आना मिलते थे, जिसका मतलब है कि छह गुणा 10 फुट के कैनवास से हमें कुछ रुपये मिलते थे। 

इतनी कम आय को देखते हुए हुसेन ने दूसरे कामों की भी तलाश शुरू कर दी। इसी दौरान उन्हें खिलौने बनाने के एक कारखाने में काम मिला, जहां उन्हें अधिक राशि मिलने लगी।

हुसेन का हिंदू देवी-देवताओं की पेंटिंग्स को लेकर विवादों से चोली-दामन की तरह का साथ रहा। इसी वजह से उन्हें 2006 में देश भी छोड़ना पड़ा। मां दुर्गा और सरस्वती को लेकर उनकी कलाकृतियों पर हिंदू संस्थाओं ने आपत्ति जताई। इन कलाकृतियों को लेकर उठे विवाद के बाद 1998 में उनके घर पर हिंदू संगठनों ने हमला बोलते हुए उनकी कलाकृतियों की तोड़-फोड़ दिया।

फरवरी, 2006 में हुसेन पर हिंदू देवी-देवताओं की नग्न तस्वीरों को लेकर लोगों की भावनाएं भड़काने का आरोप लगा। हुसेन के खिलाफ इस आरोप में कई केस चले। ऐसे ही एक अदालती मामले में उनके खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट भी जारी हुआ क्योंकि उन्होंने समन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। उन्हें जान से मारने की धमकियां भी मिलीं।

हुसेन ने देश छोड़ने के पहले कहा, कानूनी तौर पर मामले इतने जटिल हैं कि मुझे घर न लौटने की सलाह दी गई है। इस बात की आशंकाएं थीं कि उनके लौटने पर उन्हें उनके खिलाफ चल रहे मामलों को लेकर गिरफ्तार कर लिया जाएगा, इसके बाद भी उन्होंने घर लौटने की इच्छा जताई थी।

हुसेन 1940 के दशक के अंत से ही प्रसिद्धि पा चुके थे। वह 1947 में फ्रांसिस न्यूटन सूजा द्वारा स्थापित प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप में शामिल हो गए। यह ग्रुप भारतीय कलाकारों के लिए नई शैलियां तलाशने और बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट द्वारा स्थापित परंपराओं को तोड़ने के इच्छुक युवा कलाकारों के लिए बनाया गया था। पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित हुसेन भारत के कलाकारों मेंसबसे ज्यादा धन पाने वाले कलाकारों में से एक रहे। उनकी एक कलाकृति क्रिस्टीज की नीलामी में 20 लाख डॉलर में बिकी। 

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