तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे भाषा के विशेषज्ञ पढ़कर कहें कि ये कलम का छोटा सिपाही ऐसा है तो भीष्म साहनी, प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', हरिवंश राय बच्चन, फणीश्वर नाथ रेणु आदि कैसे रहे होंगे... गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.

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Today, Spider-Man will swing away into eternity


The lights are going out for Peter Parker, the high school student bitten by a radioactive spider whose wall-crawling and web-slinging antics have made him a touchstone of Marvel Comics' universe of heroes and villains. 

The publisher said on Tuesday that Parker's alter ego, Spider-Man, will die, finally succumbing to one of his most pernicious foes in the final issue of "Ultimate Comics Spider-Man" due out Wednesday. 

Fans of Spider-Man need not worry much, though, because the Ultimates imprint is separate from Marvel's bigger universe. Whatever fate may befall Ultimate Spider-Man won't count in the pages of the other series, including Amazing Spider-Man. 

The death, while dramatic, is not entirely unexpected. In November, Marvel said that the Ultimate Spider-Man was going to face an uncertain fate in the latest storyline by writer Brian Michael Bendis fittingly titled 

"The Death of Spider-Man", an eight-issue arc that saw the return of original series artist Mark Bagley. Bendis and Bagley had worked together on the series for 111 issues. 

Bendis said that in issue No 160 Parker fights valiantly but will pass on, heroically, in a pitched fight. To whom? 

"He will pass heroically, but he will die at the hands of the Green Goblin," Bendis said. 

In Marvel's Ultimate Comics imprint, death is not something taken lightly. Characters in that universe are dead and gone, never to return. The roll of the deceased includes Magneto, Wasp and Wolverine.

मून को फिर संयुक्त राष्ट्र की कमान
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 192 देशों ने सर्वसम्मति से बान की मून को दोबारा पांच साल के लिए वैश्विक निकाय का महासचिव चुना है।

महासभा ने सर्वसम्मति से दक्षिण कोरिया के इस 67 वर्षीय नेता को संयुक्त राष्ट्र प्रमुख चुना। उनका दूसरा कार्यकाल एक जनवरी, 2012 से शुरू होगा।

बान को चुनौती देने के लिए उनका कोई दूसरा प्रतिद्वंद्वी नहीं था, इसलिए महासभा ने उन्हें सर्वसम्मति से चुन लिया। बान ने दो सप्ताह पहले खुद को इस पद का प्रत्याशी घोषित किया था।

बान ने अपने दोबारा चुने जाने को ‘बहुत बड़ा सम्मान’ बताया कि जिस पर प्रतिक्रिया नहीं दी जा सकती। उनका पहला कार्यकाल उनकी प्रशंसाओं और आलोचनाओं के चलते मिला-जुला रहा।

जहां एक ओर श्रीलंका और चीन में मानवाधिकार उल्लंघनों के मामलों से ठीक से न निपट पाने पर उनकी आलोचना हुई, वहीं जलवायु परिवर्तन, महिलाओं के अधिकार और पश्चिम एशिया में हाल ही में प्रदर्शनकारियों को कुचलने के विरोध में दी गई उनकी प्रतिक्रिया को सभी ने सराहा। लीबिया और आइवरी कोस्ट में सुरक्षा परिषद् के समर्थन से हुई निर्णायक कार्रवाई में भी उनकी भूमिका बहुत अहम रही।

बान के दोबारा चुने जाने का स्वागत करते हुए संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत सुजैन राइस ने कहा कि कोई भी इस भूमिका की जिम्मेदारियों को उतने बेहतर तरीके से नहीं समझ सकता, जितना वह समझते हैं। हमारी सरकार इस बात को लेकर कृतज्ञ है कि वह इस भूमिका को आगे भी निभाने के इच्छुक हैं।

उन्होंने कहा कि महासचिव बान ऐसे नेता हैं, जो ऐसे लोगों की आवाज भी सुनते हैं, जिनकी आवाज कोई नहीं सुनता।

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