सोशल नेटवर्किंग बनाम सेक्स नेटवर्किंग
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है वह समाज के लिए जीता व मरता है। यदि वह समाज से अलग हो तो या वह देवता होगा या तो दानव होगा, लेकिन जब वह समाज में फ्रेंड्शिप के बहाने सेक्स, जनप्रवाद, अपशब्दों का मायाजाल फैलाए तो गोयबल्स की श्रेणी में आ जाता है। वह समाजिक प्राणी न होकर पशु बन जाता है। भारत ने भी तथा भारतीय संस्कृति ने तो संपूर्ण वसुधा को ही अपना कुटुंब माना है तथा संपूर्ण विश्व में जहां भी भय, अवसाद, दूख, हिंसा का रूप दिखाई पड़ता है। संपूर्ण विश्व की नजरें भारत भूमि की तरह झुक जाती हैं। उसके सोशल नेटवर्किंग के विशाल दायरे में आ जाता है।
हां, तो साहब बात आज के सोशल नेटवर्किंग साइट्स की हो रही है। यद्यपि आज समाजिक जीवन के हरेक क्षेत्रों के लोग इसका प्रयोग करने लगे हैं, पर यह युवाओं में अधिक लोकिप्रय हुआ है। दिनरात ओर्कूत, फेसबुक एवं टि्वटर पर गेंडुली मारे युवा ऐसे युवतियों के चक्कर में रहते हैं जिससे तो वे पहले मिठीमिठी बातें करते है जो समय कॅरियर के संवारने में लगना चाहिए वो समय मित्रता के दायरा बढ़ाने में लगाते है। यदि यह मित्रता शुद्ध प्रेम तक केंद्रित हो तो ठीक है पर जब यह उन्मुक्त यौन संबंधों के तरफ बढ़ने लगे तो ये साइट्स वरदान के स्थान पर अभिशाप बन जाते हैं। तमाम सर्वे के अनुसार सोशल नेटवर्किंग से जुड़े युवकोंयुवतियों में से 5 लड़कियों में से 4 तथा 5 लड़कों में से 3 अपने सोशल नेटवर्किंग फ़्रेंड्स के साथ अत्यल्प समय में सेक्स के तरफ पहुंच गए। लेकिन समान्य समाज में इस प्रकार के सेक्स का स्थान न के बराबर है।
यद्यपि इन साईटों के कारण तलाक, मनमुटाव तथा झगड़ों की संखया में इजाफा हुआ है। यह इसलिए कि जोड़े एक दूसरे के मित्रता को शंका भरी नजरों से देखते हैं। कई बार तो यहां मारपिट की नौबत भी आ जाती हैं। पतिपत्नी एक दूसरे के चरित्र पर छिटाकशी करने लगते हैं। दांपत्य जीवन पर एम. फिल. करने वाले राकेश का कहना है, वैवाहिक जीवन में उक्त संबंधों के मजबुती के लिए सोशल साइट्स का प्रयोग जितना सीमित होगा। उतना ही वैवाहिक संबंध सुदृढ़ होगा।
गूगल टॉक और याहू टॉक के माध्यम से सेक्स की तरफ बढ्ने वाले रमेश यादव का कहना है कि एक मित्र ने कहा कि रमेश ओर्कूत, फेसबुक और टि्वटर जैसे सोशल नेटवर्किंग साइट्स के द्वारा लड़केलड़कियां मनचाहा दोस्त प्राप्त कर सकते हैं। यदि वे चाहे तो इसको स्थायी रूप दे सकते हैं तथा रोमांस तक भी रख सकते हैं। मैं इससे अत्याधिक प्रभावित हुआ जब कुछ दिनों के चैट में मैंने एक लड़की के साथ सेक्स का प्रस्ताव रखा तो वो नानुकूर करने के बाद रास्ते पर आ ही गई। हम दो युवा दिलों के बीच सेक्स हॉटटॉपिक हुआ करता था। लेकिन हम दोनों ने आपस में यह समझौता किया कि हमारा सेक्सुअल संबंध तो रहेगा पर इसको हम विवाह में नही बदलेंगेऔर वर्षों तक हमारा संबंध है तथा रहेगा भी।
एक छात्र रोहित का कहना है कि मैं एक ऐसी लड़की को खोज रहा था जो सुंदर, शिक्षित, कामकाजी, वक्तृत्व कला में निपुण, सोसलाइट, लेखन कला मे दक्ष तथा शोध मानसिकता की हो। जिसके साथ वैचारिक तालमेल हो तथा फ्लर्ट किया जा सके। मैंने उसे आनलाइन सर्च किया तथा वो मिल गई। हमने उसके समक्ष सेक्स का प्रस्ताव रखा और वो मान गई।
यद्यपि बहुत से युवा इसके माध्यम से वैवाहिक संबंधों तक भी पहुंच जाते हैं। एक कामकाजी महिला उर्मिला सिंह का कहना है, मैं अपने पति पुरुषोत्तम से सोशल साइट से जुड़ी लेकिन ज्योंही हमें आभास हुआ कि हम जीवनसाथी बन सकते है। हमने यह प्रस्ताव अपने परिजनों के साथ रखा तथा हमारा गृहस्थ जीवन सोशल नेटवर्किंग मित्रता से चलते हुए जीवनसाथी के रूप में बदल गया।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के भूतपूर्व प्रोफेसर तथा समाजशास्त्री प्रो. राजेन्द्र प्रसाद जायसवाल का कहना है, यद्यपि सोशल नेटवर्किंग साइट्स के महत्व को नकारा नही जा सकता है, क्योंकि इन्हीं साइटों के माध्यम से शशि थरूर, अमिताभ बच्चन, शाहरूख खान, प्रियंका चोपड़ा, कटरीना कैफ, नीतिश कुमार, जननायक लालकृष्ण आडवाणी तथा अन्य प्रमुख हस्तियां अपने विचारों को जनसामान्य तक पहुंचा रही है जिससे एक संदेश या समाचार समाज को मिल रहा है। लेकिन युवा पी़ढ़ी भी कुछ जल्दी में है। इसे विचार करना चाहिए। आप देखेंगे पाकिस्तान जैसे कट्टर इस्लामी देश में भी युवा जोड़े मित्रता के पथ पर चलते हुए प्रेमविवाह कर रहे हैं। इसका कुछ सकारात्मक पक्ष है तो नकारात्मक भी।
भूमनडलीकृत अर्थव्यवस्था में हरेक व्यक्ति की चाह बढ़ती जा रही है क्योंकि आज के युवाओं के आदर्श राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त, रामधारी सिंह दिनकर, स्वामी विवेकानंद, गत सिंह, दयानंद सरस्वती, गुरु अर्जुन देव इत्यादि महान व्यक्तित्व न होकर धूमल सिंह, रामा सिंह, तस्लीमुद्दीन, दाऊद इब॔हिम, सलमान खान, ऐश्वर्या राय, प्रियंका चोपड़ा, कटरीना कैफ, आयटम गर्ल राखी सावंत, विपासा बसु, मल्लिका शहरावत, महम्मद शहाबुद्दीन और सुाष ठाकुर हैं। ये सी तत्व राष्ट्र के निर्माता न होकर समाज के विध्वंशक हैं। जिन्होंने भारतीय युवाओं को पथभ्रस्ट किया है। अतः जरूरी है कि आज के यंगस्टर्स भारतीय जीवनमूल्यों के तरफ मुड़े। जिससे शहीदों के स्वप्न को साकार किया जा सके।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है वह समाज के लिए जीता व मरता है। यदि वह समाज से अलग हो तो या वह देवता होगा या तो दानव होगा, लेकिन जब वह समाज में फ्रेंड्शिप के बहाने सेक्स, जनप्रवाद, अपशब्दों का मायाजाल फैलाए तो गोयबल्स की श्रेणी में आ जाता है। वह समाजिक प्राणी न होकर पशु बन जाता है। भारत ने भी तथा भारतीय संस्कृति ने तो संपूर्ण वसुधा को ही अपना कुटुंब माना है तथा संपूर्ण विश्व में जहां भी भय, अवसाद, दूख, हिंसा का रूप दिखाई पड़ता है। संपूर्ण विश्व की नजरें भारत भूमि की तरह झुक जाती हैं। उसके सोशल नेटवर्किंग के विशाल दायरे में आ जाता है।
हां, तो साहब बात आज के सोशल नेटवर्किंग साइट्स की हो रही है। यद्यपि आज समाजिक जीवन के हरेक क्षेत्रों के लोग इसका प्रयोग करने लगे हैं, पर यह युवाओं में अधिक लोकिप्रय हुआ है। दिनरात ओर्कूत, फेसबुक एवं टि्वटर पर गेंडुली मारे युवा ऐसे युवतियों के चक्कर में रहते हैं जिससे तो वे पहले मिठीमिठी बातें करते है जो समय कॅरियर के संवारने में लगना चाहिए वो समय मित्रता के दायरा बढ़ाने में लगाते है। यदि यह मित्रता शुद्ध प्रेम तक केंद्रित हो तो ठीक है पर जब यह उन्मुक्त यौन संबंधों के तरफ बढ़ने लगे तो ये साइट्स वरदान के स्थान पर अभिशाप बन जाते हैं। तमाम सर्वे के अनुसार सोशल नेटवर्किंग से जुड़े युवकोंयुवतियों में से 5 लड़कियों में से 4 तथा 5 लड़कों में से 3 अपने सोशल नेटवर्किंग फ़्रेंड्स के साथ अत्यल्प समय में सेक्स के तरफ पहुंच गए। लेकिन समान्य समाज में इस प्रकार के सेक्स का स्थान न के बराबर है।
यद्यपि इन साईटों के कारण तलाक, मनमुटाव तथा झगड़ों की संखया में इजाफा हुआ है। यह इसलिए कि जोड़े एक दूसरे के मित्रता को शंका भरी नजरों से देखते हैं। कई बार तो यहां मारपिट की नौबत भी आ जाती हैं। पतिपत्नी एक दूसरे के चरित्र पर छिटाकशी करने लगते हैं। दांपत्य जीवन पर एम. फिल. करने वाले राकेश का कहना है, वैवाहिक जीवन में उक्त संबंधों के मजबुती के लिए सोशल साइट्स का प्रयोग जितना सीमित होगा। उतना ही वैवाहिक संबंध सुदृढ़ होगा।
गूगल टॉक और याहू टॉक के माध्यम से सेक्स की तरफ बढ्ने वाले रमेश यादव का कहना है कि एक मित्र ने कहा कि रमेश ओर्कूत, फेसबुक और टि्वटर जैसे सोशल नेटवर्किंग साइट्स के द्वारा लड़केलड़कियां मनचाहा दोस्त प्राप्त कर सकते हैं। यदि वे चाहे तो इसको स्थायी रूप दे सकते हैं तथा रोमांस तक भी रख सकते हैं। मैं इससे अत्याधिक प्रभावित हुआ जब कुछ दिनों के चैट में मैंने एक लड़की के साथ सेक्स का प्रस्ताव रखा तो वो नानुकूर करने के बाद रास्ते पर आ ही गई। हम दो युवा दिलों के बीच सेक्स हॉटटॉपिक हुआ करता था। लेकिन हम दोनों ने आपस में यह समझौता किया कि हमारा सेक्सुअल संबंध तो रहेगा पर इसको हम विवाह में नही बदलेंगेऔर वर्षों तक हमारा संबंध है तथा रहेगा भी।
एक छात्र रोहित का कहना है कि मैं एक ऐसी लड़की को खोज रहा था जो सुंदर, शिक्षित, कामकाजी, वक्तृत्व कला में निपुण, सोसलाइट, लेखन कला मे दक्ष तथा शोध मानसिकता की हो। जिसके साथ वैचारिक तालमेल हो तथा फ्लर्ट किया जा सके। मैंने उसे आनलाइन सर्च किया तथा वो मिल गई। हमने उसके समक्ष सेक्स का प्रस्ताव रखा और वो मान गई।
यद्यपि बहुत से युवा इसके माध्यम से वैवाहिक संबंधों तक भी पहुंच जाते हैं। एक कामकाजी महिला उर्मिला सिंह का कहना है, मैं अपने पति पुरुषोत्तम से सोशल साइट से जुड़ी लेकिन ज्योंही हमें आभास हुआ कि हम जीवनसाथी बन सकते है। हमने यह प्रस्ताव अपने परिजनों के साथ रखा तथा हमारा गृहस्थ जीवन सोशल नेटवर्किंग मित्रता से चलते हुए जीवनसाथी के रूप में बदल गया।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के भूतपूर्व प्रोफेसर तथा समाजशास्त्री प्रो. राजेन्द्र प्रसाद जायसवाल का कहना है, यद्यपि सोशल नेटवर्किंग साइट्स के महत्व को नकारा नही जा सकता है, क्योंकि इन्हीं साइटों के माध्यम से शशि थरूर, अमिताभ बच्चन, शाहरूख खान, प्रियंका चोपड़ा, कटरीना कैफ, नीतिश कुमार, जननायक लालकृष्ण आडवाणी तथा अन्य प्रमुख हस्तियां अपने विचारों को जनसामान्य तक पहुंचा रही है जिससे एक संदेश या समाचार समाज को मिल रहा है। लेकिन युवा पी़ढ़ी भी कुछ जल्दी में है। इसे विचार करना चाहिए। आप देखेंगे पाकिस्तान जैसे कट्टर इस्लामी देश में भी युवा जोड़े मित्रता के पथ पर चलते हुए प्रेमविवाह कर रहे हैं। इसका कुछ सकारात्मक पक्ष है तो नकारात्मक भी।
भूमनडलीकृत अर्थव्यवस्था में हरेक व्यक्ति की चाह बढ़ती जा रही है क्योंकि आज के युवाओं के आदर्श राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त, रामधारी सिंह दिनकर, स्वामी विवेकानंद, गत सिंह, दयानंद सरस्वती, गुरु अर्जुन देव इत्यादि महान व्यक्तित्व न होकर धूमल सिंह, रामा सिंह, तस्लीमुद्दीन, दाऊद इब॔हिम, सलमान खान, ऐश्वर्या राय, प्रियंका चोपड़ा, कटरीना कैफ, आयटम गर्ल राखी सावंत, विपासा बसु, मल्लिका शहरावत, महम्मद शहाबुद्दीन और सुाष ठाकुर हैं। ये सी तत्व राष्ट्र के निर्माता न होकर समाज के विध्वंशक हैं। जिन्होंने भारतीय युवाओं को पथभ्रस्ट किया है। अतः जरूरी है कि आज के यंगस्टर्स भारतीय जीवनमूल्यों के तरफ मुड़े। जिससे शहीदों के स्वप्न को साकार किया जा सके।
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