तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे भाषा के विशेषज्ञ पढ़कर कहें कि ये कलम का छोटा सिपाही ऐसा है तो भीष्म साहनी, प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', हरिवंश राय बच्चन, फणीश्वर नाथ रेणु आदि कैसे रहे होंगे... गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.

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अन्ना पर कांग्रेस और सरकार का हमला


अन्ना के आंदोलन को मिल रहे जन समर्थन से बौखलाई सरकार और कांग्रेस ने आज सामान्य शिष्टाचार को दरकिनार करते हुए भाषाई मर्यादा भी तोड़कर रख दी। कांग्रेस ने दो टूक कहा, 'अन्ना तुम भी भ्रष्ट हो'। वहीं सरकार के दो दिग्गज मंत्रियों ने अन्ना के पूरे आंदोलन को ही असंवैधानिक करार दिया। जबकि कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने टीम अन्ना के अरविंद केजरीवाल और किरन बेदी के संगठनों को मिले धन पर उनसे जवाब मांगा है।

सरकार और कांग्रेस अमूमन रविवार को मीडिया से रूबरू नहीं होते, लेकिन मीडिया के लिए बने मंत्रियों के समूह और कांग्रेस ने महज दो घंटे के भीतर अन्ना पर व्यक्तिगत हमला बोल दिया। एक तरह से कांग्रेस ने अपनी पूरी 'फौज' को ही अन्ना और उनकी टीम के खिलाफ उतार दिया। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने अन्ना के चार स्वयंसेवी संगठनों के बारे में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पीबी सावंत आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा,'ऊपर से नीचे तक तुम [अन्ना] भ्रष्टाचार में खुद लिप्त हो। किस मुंह से शिष्टाचार और संस्कृति की बात करते हो। अनशन पर बैठने से पहले अपने चारों संस्थानों के भ्रष्टाचार पर जस्टिस सावंत की रिपोर्ट पर पारदर्शिता क्यों नहीं दिखाते'।

तिवारी ने 1997 में बने 'भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन संस्थान' से जुड़े लोगों पर ब्लैकमेलिंग, गुंडागर्दी, वसूली और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। सावंत रिपोर्ट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 1995 में बने अन्ना के 'हिंद स्वाराज ट्रस्ट' ने उनके जन्मदिन पर दो लाख बीस हजार रुपये खर्च किए थे। उन्होंने कहा कि सावंत कमीशन पहले ही 'कृष्णावाड़ी गुणवत्ता योजना सहकारी संस्थान' की जमीन को अवैध करार दे चुका है। तिवारी ने 'संत जाधव बाबा शिक्षक प्रसारण मंडल' पर 1982 से 2002 तक लेखा-जोखा न देने का आरोप भी मढ़ा।

कांग्रेस प्रवक्ता ने टीम अन्ना को 'ए कंपनी' संबोधित करते हुए कहा कि शांति भूषण एवं संतोष हेगड़े से जानना चाहता हूं कि उन्होंने अन्ना से अब तक क्यों नहीं पूछा कि उनके इन संगठनों की हकीकत क्या है? यह पूछने पर कि कांग्रेस को अन्ना के इस छह साल पुराने भ्रष्टाचार की याद अब क्यों आई, उन्होंने कहा, 'अन्ना ने सहनशीलता की सीमा पार कर दी है और सवाल अब उनकी नैतिकता का है। कोई भी नियोजित एजेंडा के साथ ऐसा कदम उठाएगा तो बर्दाश्त नहीं किया जा सकता'।

दूसरी तरफ, मीडिया पर मंत्रियों के समूह के सदस्य कपिल सिब्बल और अंबिका सोनी ने भी अन्ना के पूरे आंदोलन को ही असंवैधानिक करार दिया। सोनी ने कहा, 'प्रधानमंत्री से पूछते हैं कि 15 अगस्त को किस मुंह से झंडा फहराएंगे? आखिर यह कौन सा गांधीवादी तरीका है। सिब्बल ने कहा, 'अन्ना का आंदोलन भोले-भाले लोगों का नहीं है। पहले एक एनजीओ लोगों को संदेश [मोबाइल मैसेज] भेजता है। फिर वही मैसेज भाजपा की तरफ से आता है। आखिर उन पर पैसा कौन खर्च कर रहा है। उनके पीछे कोई और ताकत है'।

सिब्बल ने कहा कि अन्ना को संविधान की जानकारी नहीं है। हर किसी को विरोध प्रदर्शन का हक है, लेकिन वह यह नहीं तय करता है कि वह कहां करेगा। अन्ना यही अनशन बुराड़ी में करते तो पुलिस दूसरा व्यवहार करती, लेकिन वे उसके जरिए खुद पर टीवी चैनलों और कैमरों की नजर चाहते हैं। इधर-उधर के लड़कों, विश्वविद्यालय के छात्रों को चाहते हैं। अनशन तो आत्मशुद्धि के लिए होता है, यह आत्मशुद्धि है या बगावत। उधर, वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने फिर कहा है, 'किसी भी मामले में कानून बनाना संसद का काम है, सिविल सोसाइटी का नहीं'।

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह भी देर शाम अन्ना पर आक्रामक हो गए। उन्होंने कहा कि टीम अन्ना की सदस्य किरन बेदी को इस बात का जवाब देना चाहिए कि उन्होंने लीमन ब्रदर्स से 2.5 करोड़ का फंड क्यों लिया? उन्होंने कहा कि अन्ना के सहयोगी अरविंद केजरीवाल को यह बताना चाहिए कि उन्होंने अपने संगठन के लिए एक ऐसी कंपनी से चंदा क्यों लिया, जिसका नाम कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त संतोष हेगड़े की तत्कालीन मुख्यमंत्री येद्दयुरप्पा के खिलाफ रिपोर्ट में शामिल था। टीम अन्ना की ओर से कांग्रेस का हिसाब मांगने पर सिंह ने कहा कि कांग्रेस ही नहीं, बल्कि हर पार्टी हर साल आयकर विभाग को अपना हिसाब-किताब देती है।

उधर, सरकार और कांग्रेस के हमलों से आहत अन्ना ने अपनी शर्ते और कड़ी कर दीं। उन्होंने रविवार को दो टूक कह दिया है कि अब 16 तारीख से शुरू होने वाला उनका आमरण अनशन तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार अपने आरोप साबित नहीं कर देती या फिर बेबुनियाद आरोपों के लिए देश से माफी नहीं मांग लेती।

अन्ना ने सरकार को चुनौती दी कि उसके आरोपों में दम हो तो वह एफआइआर दर्ज करे और आरोपों को साबित करके दिखाए। उन्होंने कहा कि उनके संस्थानों की जांच खुद उनकी ही पहल पर हुई थी। सरकार पर बदले की मानसिकता से काम करने का आरोप लगाते हुए कहा, 'पिछले दिनों सरकार ने आठ चार्टर्ड अकाउंटेंटों का दल मेरे गांव भेजा था। उसने कई दिनों तक सारे कागजों की जांच की। सारे कागजात की फोटो कॉपी करके ले गए। हालांकि जांच में उन्हें कुछ गड़बड़ी नहीं मिल सकी। बावजूद इसके सरकार झूठे आरोप लगाने से पीछे नहीं हट रही।'

केंद्रीय संचार मंत्री कपिल सिब्बल की ओर से उठाए सवालों पर उन्होंने कहा, 'अगर मुझे संविधान नहीं पता, तो क्या मैं अब उनसे सीखने जाऊंगा।' सिब्बल ने रविवार को ही कहा था कि अन्ना को संविधान की जानकारी नहीं है। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखी अपनी चिट्ठी की भाषा पर केंद्र सरकार की आपत्ति को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि यह सवाल वे लोग उठा रहे हैं, जिन्होंने गांधी की शब्दावली को नहीं पढ़ा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी कहा कि वे गांधी से प्रेरित जरूर हैं, लेकिन जब गांधी की जुबान से काम नहीं चलता तो क्षत्रपति शिवाजी को भी याद कर लेते हैं।

अन्ना के अनशन की जगह को ले कर अरविंद केजरीवाल ने कहा कि 16 अगस्त की सुबह दस बजे से लोग दिल्ली के जय प्रकाश पार्क पहुंचेंगे। अब यह पुलिस के ऊपर है कि वह या तो इन्हें शांतिपूर्ण तरीके से बैठने दे या फिर गिरफ्तार कर ले। उन्होंने कहा कि समय और लोगों की सीमा को छोड़ कर दिल्ली पुलिस की बाकी शर्तो को मान कर उन्हें सूचित कर दिया जाएगा।

नया नहीं है कांग्रेस का आरोप

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कांग्रेस ने सार्वजनिक तौर पर भले ही अन्ना हजारे को पहली बार भ्रष्ट बताया हो, लेकिन गुपचुप तरीके से वह इस मुहिम में पिछले चार महीने से लगी थी। जब केंद्र सरकार टीम अन्ना के साथ मिल कर लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार कर रही थी, उसी दौरान कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी वित्त मंत्री को पत्र लिखकर अन्ना पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे थे।

मनीष ने जस्टिस पीबी सावंत की रिपोर्ट भी अपनी चिट्ठी के साथ वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी को भेजी थी। उस समय वित्त मंत्री ने इस चिट्ठी का संज्ञान नहीं लिया। अब सरकार और कांग्रेस दोनों ही अन्ना के खिलाफ उसी रिपोर्ट को हथियार बना रहे है।

यह पत्र साझा समिति के सचिवालय के तौर पर काम कर रहे कार्मिक विभाग [डीओपीटी] की लोकपाल संबंधी फाइलों में भी शामिल है। डीओपीटी की फाइल संख्या 407/30/2011- एवीडी-4 में दर्ज इस पत्र के साथ उन्होंने पीबी सावंत आयोग की रिपोर्ट भी नत्थी की है। लेकिन इस पर किसी मंत्री या अधिकारी की कोई टिप्पणी नहीं है। सावंत आयोग की रिपोर्ट छह साल पहले महाराष्ट्र सरकार को सौंपी गई थी, इसमें अन्ना हजारे के खिलाफ तो कुछ नहीं पाया गया था, लेकिन उनके हिंद स्वराज ट्रस्ट को 2.20 लाख रुपये अन्ना हजारे के जन्मदिन के कार्यक्रम पर खर्च करने का दोषी पाया था।

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