तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे भाषा के विशेषज्ञ पढ़कर कहें कि ये कलम का छोटा सिपाही ऐसा है तो भीष्म साहनी, प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', हरिवंश राय बच्चन, फणीश्वर नाथ रेणु आदि कैसे रहे होंगे... गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.

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लौट रही है महंगाई..

महंगाई घेरने के लिए वापस आ पहुंची है। जनवरी से मार्च के बीच महंगाई में जो नरमी नजर आई थी, वह अब गरमी में बदल रही है। आम बजट की कृपा, खादों के बढ़े दाम और ईंधन के महंगा होने के साथ ही लगभग सभी उत्पादों में महंगाई के जोर पकड़ने की आशंका है।
खाद्य, उद्योग और ईंधन समेत सभी वर्ग में तेजी के आसार बनने लगे हैं। यही वजह है कि आने वाले दिनों में उपभोक्ताओं की दुश्वारियां और बढ़ेंगी।

खाद्य वस्तुएं
-खाद्य वस्तुएं महंगाई लौटने की बड़ी वजह बनी हैं। खाद्य तेल उफान पर हैं। आयातित खाद्य तेल में छह से आठ रुपए प्रति किलो की तेजी आ चुकी है। पाम ऑयल व सोयाबीन तेल की कीमतें और बढ़ सकती हैं। तेल की घरेलू मांग का आधा हिस्सा आयात से पूरा होता है।
दूध में जल्दी ही उबाल आने वाला है। अमूल पहले ही दूध के दाम दो रुपये प्रति लीटर बढ़ाने की बात कह चुकी है। हरी सब्जियों के साथ राष्ट्रीय राजधानी में टमाटर 40 रुपये प्रति किलो के ऊंचे स्तर को छूने लगा है। आलू और प्याज की बंपर फसल के बावजूद दाम नीचे नहीं आ रहे हैं। पिछले एक महीने में बासमती चावल के दाम प्रति किलो आठ रुपये तक तेज हो चुके हैं।

गैर खाद्य वस्तुएं
-बजट प्रस्तावों का असर महंगाई पर पहले ही सप्ताह में दिखने लगा है। खाद, कीटनाशक और हाइब्रिड बीजों पर मिलने वाली सब्सिडी में कटौती करने से इनके मूल्य बढ़ गए हैं। इसकी वजह से खेती की लागत बढ़ेगी जो खाद्य वस्तुओं को और महंगा कर देगी। स्टील, तांबा और अल्युमिनियम जैसे आधार मेटल की तेजी का रुख है।
उद्योगों के लिए कच्चा माल महंगा होने से ऑटोमोबाइल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, एसी, टीवी और फ्रिज जैसी उपभोक्ता वस्तुओं के दाम कंपनियां बढ़ाने लगी हैं। गरीबों की सस्ती सवारी साइकिल की कीमत भी डेढ़ सौ रुपये तक बढ़ गई है।
तांबा, पीतल और अल्युमिनियम के भाव बढ़ने से इलेक्ट्रिकल वस्तुओं का महंगा होना तय है। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर मार्च में लगातार तीसरे महीने गिरावट में रहा। बिजली की कटौती और क्षमता की अड़चनों के चलते उत्पादन घटा, वहीं नए आर्डर भी कम मिले। गैर-ब्रांडेड स्वर्ण आभूषण भी उत्पाद शुल्क के दायरे में आने से आम उपभोक्ता की पहुंच से और दूर हो जाएंगे।
ईंधन उत्पाद
-डीजल, पेट्रोल और रसोई गैस में मूल्य वृद्धि के प्रस्ताव के अमल में आने के साथ ही महंगाई की रफ्तार कई गुना बढ़ सकती है। सड़क और रेलवे परिवहन महंगा हो जाएगा। खाद्य वस्तुओं के साथ औद्योगिक कच्चे माल की ढुलाई लागत में वृद्धि होना तय है, जो महंगाई को तेज करेगा।
रेलवे किराया बढ़ने से लोगों का घूमना फिरना और रसोई गैस के महंगा होने से रसोई की लागत बढ़ जाएगी।

टैक्स की मार
-आम बजट में उत्पाद शुल्क और सेवाकर की दरों में वृद्धि से सभी सेवाएं महंगी हो गई हैं। सेवा कर के दायरे में विस्तार से अब लगभग सभी सेवाओं पर कर देना होगा। इसका असर भी दिखना शुरू हो गया है।

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