तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे भाषा के विशेषज्ञ पढ़कर कहें कि ये कलम का छोटा सिपाही ऐसा है तो भीष्म साहनी, प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', हरिवंश राय बच्चन, फणीश्वर नाथ रेणु आदि कैसे रहे होंगे... गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.

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आये हैं चुनाव वाले


रविवार का दिन था। आराम से शेव बना रहा था। पत्नी ने दरवाजे से आवाज लगाई, ‘अजी सुनते हो, चुनाव वाले आये हैं।’ मैंने कहा, ‘कौन से वाले हैं?’ पत्नी ने कहा, ‘सफेद टोपी वाले हैं।’ मैं बोला,’इनसे कह दो इनकी तो हवा चुनाव से पहले ही निकल गई। महंगाई और भ्रष्टाचार से जनता का बुरा हाल है।’ पत्नी बोली ,’ये आपको कन्विंस करना चाहते हैं।’ मैंने कहा,’मैं कन्विंस हूं। किसी और को बेवकूफ बनायें।’ शेव बनाकर मुंह धो ही रहा था कि पत्नी की आवाज फिर आई, ‘अजी सुनते हो! केसरिया गमछे वाले आये हैं।’ मैं बोला,’इनसे कह दो पहले शौचालय और देवालय का मसला हल कर लें, इसके बाद में देखेंगे। अभी मैं बिजीहूं।’ पत्नी बोली,’इनका कहना है कि इनके पास साफ, सुथरा प्रधानमंत्री है। देश को सुधार देंगे।’ मैं बोला,’पहले अपनी अन्तर्कलह सुलझायें, बाद में आना।’ पत्नी की आवाज फिर नहीं आयी, शायद वे भी चले गये थे।
बिस्तर पर फालतू लेटकर अपनी चिंताओं में निमग्न था। तभी पत्नी की आवाज आयी, ‘अजी सुनते हो, लाल टोपी वाले आये हैं। इनका कहना है कि हम सद्भाव का वातावरण बना रहे हैं। देश में शान्ति की गारंटी दे रहे हैं।’ मैं बोला,’हां-हां, इनका सद्भाव देख लिया। साम्प्रदायिक हिंसा में मरने वालों का हिसाब कौन देगा। इनकी साइकिल पहले ही पंक्चर पड़ी है। अगले मकान की बेल बजायें। मैं आराम कर रहा हूं।’ पत्नी ने कहा,’थोड़ा सा सोल्यूशन चाहते हैं, दे दो न!’ मैं बोला,’अपना काम करो। खामख्वाह दरवाजे से चिल्ला रही हो। क्यों बेकार में मेरा ओर अपना वक्त बरबाद कर रही हो?’ मैंने पत्नी को डांटा तो वे भी चले गये।
घंटा भर बीता होगा कि पत्नी ने फिर हांक लगाई,’अजी सुनते ओ, ‘आप’ वाले केजरीवाल जी खुद आये हैं।’ मैंने कहा,’इनसे कह दो इतनी ईमानदारी की आवश्यकता नहीं है। दो पैसे रिश्वत के लाता हूं तो घर चलता है। पहले दिल्ली में प्याज और बिजली सस्ती करा दें। बाद में बात करेंगे।’ पत्नी बोली,’अजी इनका कहना है कि एक बार मिल तो लें। देश में सब ठीकठाक होने की बात कह रहे हैं।’ मैं बोला,’मैंने कहा न, मुझे ईमानदारी की बात करने वाला वन परसेंट भी अच्छा नहीं लगता।’ उन्होंने मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया और वे जबरन अंदर चले आये। आते ही बोले,’शर्मा जी, हमारी भी तो सुनो। देश में झाडू लगाकर गंदगी को साफ कर देंगे।’ मैं बोला,’ठीक है श्रीमान, लेकिन आपकी बातों में आ जाऊं तो भूखों मर जाऊंगा। मेरा तो घर ही रिश्वत,कमीशन से चलता है।’ केजरीवाल जी ने अपना सिर पकड़ लिया और वे बिना कुछ बोले घर से निकल गये। मैंने भी राहत की सांस ली और पुन: सोफे पर लुढ़क गया।
आधे घण्टे बाद पत्नी ने फिर कहा,’अजी सुनते हो, निर्दलीयजी आये हैं।’ मैं झल्लाकर बोला,’इन्हें बैठाओ और तुम यहां आओ।’ उन्हें बैठाकर पत्नी मेरे पास आ गई। मैं बोला,’मैं बोलता,बोलता थक गया हूं। मैंने कागज के एक पुर्जे पर ‘कोई योग्य नहीं’ लिखा और पत्नी से कहा,’यह उन्हें थमाकर विदा करो।’ पत्नी चली गई और मैं आराम से नींद में सो गया। थोड़ी देर बाद पत्नी की आवाज आई,’अजी सुनते हो, चुनाव वाले आये हैं!’ मैं हड़बड़ाकर उठ बैठा। पत्नी हंसकर बोली, ‘घबराओ नहीं, अब कोई नहीं आयेगा। आप तो दोपहर की चाय पी लो।’ मैंने राहत की सांस फिर ली और चाय सुड़कने लगा।