तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे भाषा के विशेषज्ञ पढ़कर कहें कि ये कलम का छोटा सिपाही ऐसा है तो भीष्म साहनी, प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', हरिवंश राय बच्चन, फणीश्वर नाथ रेणु आदि कैसे रहे होंगे... गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.

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कुत्ते से सावधान


जब भी मैं किसी कोठी में प्रवेश करता हूं तो कुत्ते से सावधान हो जाता हूं। भले ही उस कोठी के मालिक ने कुत्ता न पाल रखा हो। भले ही अपनी कोठी पर ‘कुत्ते से सावधान’ वाली प्लेट न लगा रखी हो।
माना कि कुत्ता बहुत वफादार जानवर है। पर किसका? अपने स्वामी का। मेरा या आपका तो हो नहीं सकता। हर कुत्ता कोठी में प्रवेश करने वालों को पक्का दुश्मन समझता है। उस पर उसी प्रकार गुर्राता भौंकता है जैसे कोई कट्टर दुश्मन दिखाई दे गया हो।
दूध का जला छांछ में भी फूंक मारकर पीता है। मैं भी कुत्ते का काटना बुरी तरह भुगत चुका हूं।
अब तो कुत्ते के काटने पर पांच-छह इंजेक्शन ही लगते हैं। परन्तु कुछ वर्ष पूर्व 13-14 इंजेक्शन पेट में घुसाये जाते थे। तभी तो लोग कहते थे कि कुत्ते के काटने से इतना डर नहीं लगता जितना पेट में लगने वाले इंजेक्शनों से लगता है।
उस मनहूस दिन को मैं भुला नहीं पाऊंगा, जब मैं अपने एक पुराने मित्र के घर काफी समय के बाद गया। मित्र अभी बाथरूम में था। नौकर ने मुझे एक कमरे में बैठा दिया। सामने दीवान पर कोई सो रहा था।
वह मित्र कमरे में आया तो मैंने पूछा, ‘यह कौन सो रहा है?’
‘ यह मोती सो रहा है।’
‘बहुत देर तक सोता है।’
‘हां, रात को जागना पड़ता है ना।’
‘किसी कम्पीटीशन की तैयारी कर रहा है क्या बेटा?’ मैंने पूछा।
‘बेटा? यह क्या कर रहे हो?’
‘क्या यह अपना साहबजादा नहीं है?’
‘नहीं यार, यह तो मोती है…मोती…’
‘मोती…मोती कौन?’
तभी बिस्तर पर कुछ हलचल हुई और गुर्राता हुआ एक कुत्ता मेरी ओर झपटा। इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता और अपना बचाव करता, मेरा हाथ मोती के मुंह में था।
मित्र ने खूब जोर से चीखकर मोती को डांटा और वहां से भगाया। मेरा हाथ लहूलुहान हो चुका था। मैं दर्द के मारे तड़प रहा था।
‘ओह डियर… एम सॉरी… पता नहीं इसे आज क्या हो गया था? ऐसा तो यह कभी नहीं करता।’ कहते हुए मित्र ने मुझे कार में बैठाया और तुरंत डाक्टर के पास ले जाकर मरहम पट्टी करा दी।
मुझे घर पर छोड़ते समय मित्र ने कहा था, ‘मुझे बहुत दु:ख है भाई तुम चिंता न करना, कुछ नहीं होगा। मोती को इंजेक्शन लगवा रखे हैं।’
मैं चुपचाप मुंह में कुनैन सी घोलकर उस मनहूस घड़ी को कोस रहा था जब मैं अपने उस पुराने मित्र से मिलने गया था।
घर पहुंच कर मैं एक परिचित डाक्टर से मिला तो उसने कहा, ‘कुत्ते के काटने के मामले में कभी लापरवाही मत करना। मेरे सामने कई केस ऐसे आये कि कुत्ते के काटने पर लोगों को कुत्ते की तरह भौंक-भौंक कर मरना पड़ा।’
मैंने घबरा कर थूक निगलते हुए कहा,’लेकिन डाक्टर साहब वह तो कह रहा था कि कुछ नहीं होगा, कुत्ते को इंजेक्शन लगवा रखे हैं।’
‘उसने कहा और आपने यकीन कर लिया। क्या आपने सर्टिफिकेट देखा कि कुत्ते को इंजेक्शन लगे हैं? कुत्ते का काटना तो आपको भुगतना है, उसे नहीं। यदि कुछ होगा तो आपको होगा, उस दोस्त को नहीं, क्या समझे?’ डाक्टर ने मेरी ओर देखते हुए कहा।
‘समझ गया डाक्टर साहब…’ मैंने कहा।
‘तो ठीक है, कल अस्पताल चले जाना और इंजेक्शन लगवाने शुरू कर दो। यदि आपने जरा-सी लापरवाही कर दी तो आपकी ऐसी हालत हो जायेगी कि कहीं इलाज भी न हो सकेगा।’ डाक्टर ने सलाह दी।
मरता क्या न करता? मैंने अस्पताल पहुंचकर पेट में इंजेक्शन लगवाने शुरू कर दिये। जब भी इंजेक्शन पेट में घुसता तो मैं दर्द के मारे तड़प कर मोती और मित्र को खूब कोसता। उस दिन के बाद तो मुझे सभी कुत्तों से बहुत नफरत होने लगी। कभी-कभी तो मुझे उन कुत्तों को देखकर ईष्र्या-सी होने लगती है जो एसी कमरों में ठाट से रहते हैं। एसी कारों में घूमते हैं।
पिछले जन्म में उन्होंने पता नहीं क्या दान किया होगा जो इस जन्म में कुत्ते बनकर भी ऐश्वर्यपूर्ण जीवन का आनंद ले रहे हैं। अन्यथा बहुत से इनसान तो ऐसा नारकीय जीवन जीने को मजबूर होते हैं कि जानवरी भी न जी सके।
एक दिन मैं अपने एक परिचित के मकान पर गया। वहां भी लिखा था— कुत्ते से सावधान। मैं एकदम चौकन्ना हो गया। मुझे घबराहट भी होने लगी कि न जाने कब कहां से उनका प्यारा और हमारी जान का दुश्मन कुत्ता आ जाये?


परिचित ने मुझे एक कमरे में बैठाया और कुछ कागज लेने दूसरे कमरे में चला गया। अचानक मेरी दृष्टिï बिस्तर पर चली गयी जहां मुंह ढके कोई सो रहा था।
घबराहट के मारे मेरी हालत खराब होने लगी। मुझे लगा कि आज फिर एक कुत्ता मुझ पर हमला करने वाला है। मैं धड़कते हृदय से बिस्तर की ओर ही देखता रहा।
जैसे ही परिचित कमरे में आया तो मैंने एकदम कहा, ‘ यार, अपने कुत्ते को भी यहां सुलाते हो?’
‘ कुत्ते को? क्या कह रहे हो? यह तो मेरा बेटा राजू सो रहा है।’ परिचित ने बुरा-सा मुंह बनाते हुए कहा।
‘ओह… माफ करना भाई? दरअसल बात यह है कि…’ मैंने कुत्ते के काटने वाली घटना सुना दी।
‘तुम्हें कुत्ते ने क्या काट लिया तुम तो इनसानों को भी कुत्ता समझने लगे। अरे भाई तुम यह भी पूछ सकते थे कि यह कौन सो रहा है?’
मुझे अपनी गलती का एहसास हो रहा था। मैं माफी मांगता हुआ जल्दी ही वहां से खिसक लिया कि कहीं ऐसा न हो कि यह परिचित अपने वफादार कुत्ते को संकेत कर दे और मैं पुन: शिकार बन जाऊं।