तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे भाषा के विशेषज्ञ पढ़कर कहें कि ये कलम का छोटा सिपाही ऐसा है तो भीष्म साहनी, प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', हरिवंश राय बच्चन, फणीश्वर नाथ रेणु आदि कैसे रहे होंगे... गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.

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ग्रैंड कैन्यन की रोचक दास्तां

दुनिया रंग रंगीली



ग्रैंड कैन्यन घाटी
संयुक्त राज्य अमेरिका के एरिजोना राज्य से होकर बहने वाली कोलोरेडो नदी की धारा से बनी तंग घाटी है। कोलोराडो और उसकी सहायक नदियों द्वारा करोड़ों वर्षों के अंतराल पर चट्टानों की परतों को काट-काट कर बनायी गयी यह दुनिया की सबसे बड़ी घाटी (कैन्यन) है। यह घाटी अधिकांशत: ग्रैंड कैन्यन नेशनल पार्क से घिरी है जो अमेरिका के सबसे पहले राष्ट्रीय उद्यानों में से एक था। भू-विशेषज्ञों के अनुसार कोलोरेडो नदी के बहाव से ग्रैंड कैन्यन घाटी कोई 60 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आई थी। ग्रैंड कैन्यन की लंबाई 446 किलोमीटर और गहराई 6,000 फीट से ज्यादा है। 277 कि.मी. लंबी इस घाटी में विभिन्न स्थानों पर इसकी चौड़ाई 6.4 से 29 कि.मी. तक है और गहराई एक मील (1.83 कि.मी.) तक है।
पृथ्वी का 2 अरब वर्षों का भूगर्भिक इतिहास इसमें मौजूद है। लगभग 20 करोड़ वर्ष पूर्व कोलोराडो नदी और उसकी सहायक नदियों ने इस क्षेत्र को परत दर परत काटा था और कोलोराडो पठार पृथ्वी की भीतरी हलचलों के कारण ऊपर उठ रहा था, तब पृथ्वी का भूगर्भीय इतिहास प्रकट हुआ था। ग्रैंड कैन्यन पश्चिम में आरंभ हुई और दूसरी पूर्व में भी साथ ही बनी। लगभग 60 लाख वर्ष पूर्व दोनों एक साथ मिल गयीं। यह संगम उस स्थान पर हुआ था, जहां आज नदी पश्चिम को मुड़ती है। यह स्थान कैबब मेहराब कहलाता है। आधुनिक अमेरिकी राज्य के 1779 में अस्तित्व में आने से पूर्व ग्रैंड कैन्यन घाटी में अमेरिकी इंडियंस रहते थे। इस घाटी की गुफाएं उनका घर थीं और वहां पर उनके कई धार्मिक पवित्र स्थान भी थे। इस स्थान पर पहुंचने वाले पहले यूरोपीय यात्री स्पेन के गासिर्या लोपेज दि गार्सेनाज थे जो यहां 1540 में पहुंचे थे। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट पिछली शताब्दी के आरंभ में ग्रैंड कैन्यन पार्क को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित किया था। आज यह कई प्राणियों को संरक्षण देता है। कोलोरेडो नदी में भी पर्यटक कई तरह के जल-क्रीड़ा (वाटर स्पोटर्स) का आनंद भी उठाते हैं।


जहरीला बोतल वृक्ष
नामीबिया में पाया जाने वाला यह वृक्ष धरती पर सबसे घातक पेड़ों में से एक है। इस वृक्ष का दूधिया रस बहुत जहरीला होता है। पुराने जमाने में शिकारी अपने तीर को जहरीला बनाने में इसका इस्तेमाल करते थे। चूंकि इसके तने की शक्ल बोतल जैसी होती है इसलिए इसे बोतल वृक्ष कहा जाता है। आमतौर पर यह पवर्तीय प्रदेशों में उगता है। बोतल वृक्ष के फूल सुंदर होते हैं और प्राय: गुलाबी या सफेद रंग के होते हैं, जो मध्य की ओर गहरे काले या लाल रंग के होते हैं।

सुरंग वाला वावोना पेड़
वावोना पेड़ एक कोस्ट रेडवुड था जो कि संयुक्त राज्य अमेरिका के योसमाइट राष्ट्रीय उद्यान के मैरिपोसा ग्रोव में स्थित था। वर्ष 1881 में इसके तने को बीच में से काटकर एक सुरंग बना दी गयी। तभी से यह एक लोकप्रिय और आकर्षक पर्यटन स्थल बन गया था। सन् 1969 में भारी हिमपात तथा शिखर पर भार के चलते यह वृक्ष धराशायी हो गया। ऐसा अनुमान है कि यह रेडवुड 2300 साल पुराना था।

विमान को खींचने वाला पहाड़
पहाड़ तो आपने बहुत देखे होंगे, लेकिन कभी सुना है कि पहाड़ धातु से बनी चीजों को अपनी ओर खींच लेता है। लद्दाख में एक ऐसा पहाड़ है जो नीचे उड़ रहे विमानों को भी अपनी ओर खींच लेता है। इस पहाड़ में ऐसी चुंबकीय शक्ति है कि कोई भी धातु की बनी चीज पहाड़ की तरफ खिंची चली आती है।
लद्दाख के मुख्य शहर लेह को पार कर लगभग 13-14 किलोमीटर दूर सिंधु नदी जहां अपनी पहली सहायक नदी जंस्कार से मिलती है, उसी रास्ते पर इस संगम से काफी पहले ही आप इस चुंबकीय पर्वत का साक्षात् कर सकते हैं। लेह समुद्र तल से लगभग 11 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है और लेह-बटालिक मार्ग पर जहां यह चुंबकीय पर्वत है। वह स्थान समुद्रतल से लगभग 14,000 फुट की ऊंचाई पर है। स्थानीय निवासियों और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के कई जवानों ने बताया कि इस पहाड़ के ऊपर से गुजरने वाले विमानों को इसके चुंबकीय क्षेत्र से बचने के लिए अपेक्षाकृत अधिक ऊंचाई पर उडऩा पड़ता है और कहीं विमान इस चुंबकीय क्षेत्र में आ गया तो इसे वैसे ही झटके लगते हैं, जैसे हवा के दबाव क्षेत्र में पहुंचने के बाद लगते हैं।