तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे भाषा के विशेषज्ञ पढ़कर कहें कि ये कलम का छोटा सिपाही ऐसा है तो भीष्म साहनी, प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', हरिवंश राय बच्चन, फणीश्वर नाथ रेणु आदि कैसे रहे होंगे... गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.

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जागो जनता जनार्दन

किसानों का, मजदूरों का
महंगाई से पिसते मजबूरों का
संतों का, महात्माओं का, 
पगडण्डी पर पड़े गावों का
देश भारतवर्ष
कैसे मनाएं हर्ष...?
जब देश की दौलत
नेता की बदौलत
देश की सीमा से परे
स्विस बैंक की तिजोरी भरे
जब भारत के गरीब लोग
भूख से तड़पकर मरे
तब हाथ पर हाथ धरे
जो खामोश रहने का कुकर्म करे
गलत को गलत बताने में
जिनकी जिह्वा  को
मार जाये लकवा
तो सुनो बचुवा
ऐसा जीना भी कोई जीना है...?
न भुज बल है न सीना है
बिल में घुसे चूहे
परिवर्तन का शंखनाद नहीं करते
जो सच के हिमायती हैं
वो कष्टों से नहीं डरते
तो बहुत हो चुका
बर्दाश्त की सीमा से बहार आओ
जिन्होंने खून चूसा है
उनका खून चूसकर दिखाओ
अभी असली आज़ादी नहीं आई है
न तेल, न धनिया, न जीरा, न राई है
किचन के कनस्तर खाली हैं
कलाली पर भीड़ है, मवाली हैं
देश को दारू के दरिया में
मत बहने दो
कलमकार को अपनी वाणी 
कहने दो
समाज को नोचने वाले गिद्धों के 
पर काट दो
जागो जनता जनार्दन
कैक्टसों को छांट दो
क्योंकि....
जिस नस्ल को मिटने का
एहसास नहीं होता
इतिहास नहीं होता.
ममता दीदी को मजबूत बनाओ
बंगाल को बर्बाद होने से बचाओ.
(मुख्य कविता राजीवजी का और संक्षिप्त जोड़ राजेश मिश्रा का)

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