प्रेम से बोलो जय माता दी : राजेश मिश्रा |
साधकों के लिए श्रेष्ठ अवसर है चैत्र की नवरात्रि
चैत्र नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त
भारतीय समयानुसार प्रात: 9.15 से 10.44 तक शुभ चौघड़िया में, 3.15 से 6.35 तक लाभ व अमृत चौघड़िया में घटस्थापना कर सकते हैं। वैसे शुभ चौघड़िया में ही घटस्थापना करना चाहिए।
यह नवरात्रि पर्व शक्ति की शक्तियों को जगाने का आह्वान है, ताकि हम पर देवी की कृपा हो, और हम शक्ति-स्वरूपा से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद अर्जित कर सकें। हम सभी संकट, रोग, दुश्मन व प्राकृतिक-अप्राकृतिक आपदाओं से बच सकें। हमारे शारीरिक तेज में वृद्धि हो, मन निर्मल हो। हमें सपरिवार दैवीय शक्तियों का लाभ मिल सकें।
चैत्र नवरात्रि पर्व पर माँ भगवती का आह्वान कर दुष्टात्माओं का नाश करने हेतु उन्हें जगाया जाता है। प्रत्येक नर-नारी जो हिन्दू धर्म की आस्था से जुडे हैं वे किसी-न-किसी रूप में देवी की उपासना करते ही है। फिर चाहे व्रत, उपवास,मंत्र,जप, अनुष्ठान या दान कर्म ही क्यों ना हो, अपनी-अपनी श्रद्धा, सामर्थ्य व भक्तिनुसार उपासक यह कर्म करते हैं। माँ के दरबार में दोनों ही नवरात्रि चैत्र व शारदीय नवरात्रि में धूमधाम रहती है। आश्विन माह की नवरात्रि में जगह-जगह गरबों की, जगह-जगह देवी प्रतिमा स्थापित करने की प्रथा है। चैत्र नवरात्रि में घरों में देवी प्रतिमा व घटस्थापना की जाती है। हिंदू मतानुसार इसी दिन से नव वर्ष का आरंभ माना गया है।
भारतीय समयानुसार प्रात: 9.15 से 10.44 तक शुभ चौघड़िया में, 3.15 से 6.35 तक लाभ व अमृत चौघड़िया में घटस्थापना कर सकते हैं। वैसे शुभ चौघड़िया में ही घटस्थापना करना चाहिए।
यह नवरात्रि पर्व शक्ति की शक्तियों को जगाने का आह्वान है, ताकि हम पर देवी की कृपा हो, और हम शक्ति-स्वरूपा से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद अर्जित कर सकें। हम सभी संकट, रोग, दुश्मन व प्राकृतिक-अप्राकृतिक आपदाओं से बच सकें। हमारे शारीरिक तेज में वृद्धि हो, मन निर्मल हो। हमें सपरिवार दैवीय शक्तियों का लाभ मिल सकें।
चैत्र नवरात्रि पर्व पर माँ भगवती का आह्वान कर दुष्टात्माओं का नाश करने हेतु उन्हें जगाया जाता है। प्रत्येक नर-नारी जो हिन्दू धर्म की आस्था से जुडे हैं वे किसी-न-किसी रूप में देवी की उपासना करते ही है। फिर चाहे व्रत, उपवास,मंत्र,जप, अनुष्ठान या दान कर्म ही क्यों ना हो, अपनी-अपनी श्रद्धा, सामर्थ्य व भक्तिनुसार उपासक यह कर्म करते हैं। माँ के दरबार में दोनों ही नवरात्रि चैत्र व शारदीय नवरात्रि में धूमधाम रहती है। आश्विन माह की नवरात्रि में जगह-जगह गरबों की, जगह-जगह देवी प्रतिमा स्थापित करने की प्रथा है। चैत्र नवरात्रि में घरों में देवी प्रतिमा व घटस्थापना की जाती है। हिंदू मतानुसार इसी दिन से नव वर्ष का आरंभ माना गया है।
हिंदू व महाराष्ट्रीयन समाज इस दिन को गुडी पड़वा के रूप में बड़ी धूमधाम से मनाते है। घर-घर में उत्साह का माहौल रहता है। कुछ साधकगण शक्ति पीठों में जाकर अपनी-अपनी सिद्धियों को बल देते हैं।शक्तियों को सिद्ध करते हैं।यह अनुष्ठान-हवन आदि का पर्व होता है।
कुछ भक्त वाक् शक्ति बढा़ने के लिए माँ शारदा की आराधना करते हैं तो कोई शत्रुओं से राहत पाने हेतु माँ बगलामुखी का जप-हवन आदि करते है। कोई कालका का उपासक है तो कोई नवदुर्गा का साधक है।
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