अपने पुरे परिवार के साथ सचिन तेन्दुलकर |
सचिन को भारत रत्न नहीं मिलने के ये मुख्य कारण है-जब तक नियमों को बदला नहीं जाता वह फिट नहीं बैठेंगे। नियमों के मुताबिक भारत रत्न, कला, साहित्य और विज्ञान के विकास में असाधारण सेवा के लिए दिया जाता है। साथ ही सर्वोच्च स्तर की जन सेवा के लिए यह पुरस्कार दिया जाता है। इसमें खेल का जिक्र कहीं नहीं है। : राजेश मिश्रा
देश के तमाम खिलाड़ी, नेता और चाहने वाले भले ही मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर को भारत रत्न देने की मांग कर रहे हों, लेकिन कायदे कानून बदले बिना उन्हें इस सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा नहीं जा सकता। देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न 1954 में शुरू किया गया था। तब से अब तक 41 लोगों को इससे नवाजा जा चुका है। लेकिन इनमें से कोई भी खिलाड़ी नहीं है, इसकी वजह संबंधित नियम हैं।
संविधान के जानकार, सुभाष कश्यप का कहना है, ' सचिन भारत रत्न के लिए फिट नहीं बैठते। जब तक नियमों को बदला नहीं जाता वह फिट नहीं बैठेंगे। नियमों के मुताबिक भारत रत्न, कला, साहित्य और विज्ञान के विकास में असाधारण सेवा के लिए दिया जाता है। साथ ही सर्वोच्च स्तर की जन सेवा के लिए यह पुरस्कार दिया जाता है। इसमें खेल का जिक्र कहीं नहीं है।
तो सचिन को पद्म विभूषण क्यों मिला? इस पर सुभाष कश्यप कहते हैं, 'पद्म पुरस्कारों के संबंधित नियमों के तहत ये पुरस्कार सभी प्रकार की गतिविधियों, क्षेत्रों जैसे कि कला, साहित्य और शिक्षा, खेल कूद, चिकित्सा, सामाजिक कार्य, विज्ञान और इंजीनियरी, सार्वजनिक मामले, सिविल सेवा, व्यापार और उद्योग आदि में विशिष्ट और असाधारण उपलब्धियों के लिए प्रदान किए जाते हैं। इसी कारण सचिन को नियमों के तहत पद्म विभूषण दिया जा चुका है।'
संविधान विशेषज्ञ कश्यप का कहना है, ' निर्णय सरकार को करना होगा कि क्या खेल को भारत रत्न में जोड़ा जाए ?'इसके लिए गृह मंत्रालय को इस तरह का एक प्रस्ताव मंजूरी के लिए कैबिनेट के सामने रखना होगा। कश्यप ने कहा, ' गृह मंत्रालय पहल कर सकता है। अगर कोई संसद सदस्य या कोई भी नागरिक गृह मंत्रालय को पत्र लिखता है तो मंत्रालय उस पर संज्ञान ले सकता है। वैसे वह खुद भी संज्ञान ले सकता है। '
मंत्रिमंडल की स्वीकृति के बाद नियमों में संशोधन कर गृह मंत्रालय सचिन ही नहीं बल्कि किसी भी खिलाडी को भारत रत्न देने के लिए रास्ता बना सकता है। अपने प्रशंसकों के बीच का भगवान माने जाने वाले सचिन को भारत रत्न देने की मांग संसद ही नहीं विधानसभाओं में भी बार-बार उठ चुकी है। हाल ही में महाराष्ट्र विधानसभा में सर्वसम्मति से यह मांग की गई थी।
जहां पद्म पुरस्कारों की चयन प्रक्रिया काफी लंबी है वहीं भारत रत्न के लिए कोई औपचारिक सिफारिश की जरूरत नहीं है। संबंधित नियमों के मुताबिक, रत्न के लिए सिफारिश खुद प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति को की जाती है। इसके लिए कोई औपचारिक सिफारिश की आवश्यक नहीं है।
हालांकि केन्द्र में मंत्री रह चुके और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील जगदीप धनखड़ के मुताबिक सरकार चाहे तो बिना नियम बदले भी लोक सेवा वर्ग के तहत किसी को भारत रत्न पुरस्कार दिया जा सकता है।
संविधान के जानकार, सुभाष कश्यप का कहना है, ' सचिन भारत रत्न के लिए फिट नहीं बैठते। जब तक नियमों को बदला नहीं जाता वह फिट नहीं बैठेंगे। नियमों के मुताबिक भारत रत्न, कला, साहित्य और विज्ञान के विकास में असाधारण सेवा के लिए दिया जाता है। साथ ही सर्वोच्च स्तर की जन सेवा के लिए यह पुरस्कार दिया जाता है। इसमें खेल का जिक्र कहीं नहीं है।
तो सचिन को पद्म विभूषण क्यों मिला? इस पर सुभाष कश्यप कहते हैं, 'पद्म पुरस्कारों के संबंधित नियमों के तहत ये पुरस्कार सभी प्रकार की गतिविधियों, क्षेत्रों जैसे कि कला, साहित्य और शिक्षा, खेल कूद, चिकित्सा, सामाजिक कार्य, विज्ञान और इंजीनियरी, सार्वजनिक मामले, सिविल सेवा, व्यापार और उद्योग आदि में विशिष्ट और असाधारण उपलब्धियों के लिए प्रदान किए जाते हैं। इसी कारण सचिन को नियमों के तहत पद्म विभूषण दिया जा चुका है।'
संविधान विशेषज्ञ कश्यप का कहना है, ' निर्णय सरकार को करना होगा कि क्या खेल को भारत रत्न में जोड़ा जाए ?'इसके लिए गृह मंत्रालय को इस तरह का एक प्रस्ताव मंजूरी के लिए कैबिनेट के सामने रखना होगा। कश्यप ने कहा, ' गृह मंत्रालय पहल कर सकता है। अगर कोई संसद सदस्य या कोई भी नागरिक गृह मंत्रालय को पत्र लिखता है तो मंत्रालय उस पर संज्ञान ले सकता है। वैसे वह खुद भी संज्ञान ले सकता है। '
मंत्रिमंडल की स्वीकृति के बाद नियमों में संशोधन कर गृह मंत्रालय सचिन ही नहीं बल्कि किसी भी खिलाडी को भारत रत्न देने के लिए रास्ता बना सकता है। अपने प्रशंसकों के बीच का भगवान माने जाने वाले सचिन को भारत रत्न देने की मांग संसद ही नहीं विधानसभाओं में भी बार-बार उठ चुकी है। हाल ही में महाराष्ट्र विधानसभा में सर्वसम्मति से यह मांग की गई थी।
जहां पद्म पुरस्कारों की चयन प्रक्रिया काफी लंबी है वहीं भारत रत्न के लिए कोई औपचारिक सिफारिश की जरूरत नहीं है। संबंधित नियमों के मुताबिक, रत्न के लिए सिफारिश खुद प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति को की जाती है। इसके लिए कोई औपचारिक सिफारिश की आवश्यक नहीं है।
हालांकि केन्द्र में मंत्री रह चुके और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील जगदीप धनखड़ के मुताबिक सरकार चाहे तो बिना नियम बदले भी लोक सेवा वर्ग के तहत किसी को भारत रत्न पुरस्कार दिया जा सकता है।
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