तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे भाषा के विशेषज्ञ पढ़कर कहें कि ये कलम का छोटा सिपाही ऐसा है तो भीष्म साहनी, प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', हरिवंश राय बच्चन, फणीश्वर नाथ रेणु आदि कैसे रहे होंगे... गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.

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SATNARAYAN SE STYA SAI BABA KI KAHANI


कैसे सत्यनारायण से बन गए सत्य साईं बाबा

आज विश्व भर में लाखों लोग श्री सत्य साईं बाबा के देहांत पर आंसू बहा रहे है। बाबा के दुनियाभर में करोड़ों भक्त हैं। श्री सत्य साईं बाबा को शिरडी साईं बाबा का अवतार के रूप में भी जाना जाता है। बहुत कम लोग जानते हैं कि साई बाबा विलक्षण प्रतिभा वाले एक साधारण बालक थे। इनका जन्म आन्ध्र प्रदेश के पुत्तपार्थी गांव में 23 नवंबर 1926 को हुआ था। वो बचपन से ही बड़े अक्लमंद और दयालु थे। वो संगीत, नृत्य, गाना, लिखना इन सबमें में काफी रुचि रखते थे। 

एक दिन अचानक 8 मार्च 1940 को जब वो कहीं जा रहे थे तो उनको एक बिच्छू ने डंक मार दिया। इसके कुछ दिनों बाद उनके व्यक्तित्व में खासा बदलाव देखने को मिला। वो अचानक संस्कृत में बोलना शुरू कर दिए जिसे वो जानते तक नहीं थे। 

पिता ने डॉक्‍टर को दिखाया लेकिन कोई भी इस चमत्‍कार को नहीं समझ सका। 23 मई 1940 को उनकी दिव्यता का लोगों को अहसास हुआ। सत्य साईं ने घर के सभी लोगों को बुलाया और चमत्कार दिखाने लगे। उनके पिता ने उनकी पिटाई की और पूछा कि तुम कौन हो सत्यनारायण ने कहा मैं साईं बाबा हूं। 

उन्होंने अपने आप को शिरडी साईं बाबा का अवतार घोषित कर दिया। शिरडी साईं बाबा, सत्य साईं की पैदाइश से 8 साल पहले ही गुजर चुके थे। खुद को शिरडी साईं बाबा का अवतार घोषित करने के बाद सत्य साईं बाबा के पास श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी। 

उन्होंने मद्रास और दक्षिण भारत के अन्य हिस्सों की यात्रा की। उनके भक्तों की तादाद बढ़ गई। उन्‍होंने कई बार देश और विदेश की यात्रा की। वे अपने संबोधन सभा में कहते कि मैं यहां आपके दिल में प्यार और सद्भाव का दीप जलाने आया हूं। मैं किसी धर्म के प्रचार के‍ लिए या भक्‍त बनाने नहीं आया हूं।

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